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बीकानेर,गुजरात के अहमदाबाद में एज्यूकेशनल इंडिया की तरफ से आयोजित की गई एक दिवसीय प्रिंसिपल कॉन्फ्रेंस “विद्वत सभा – 2023” में प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूशंस प्रोसपैरिटी एलायंस (पैपा) के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने बीकानेर संभांग का प्रतिनिधित्व किया। सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चली इस कान्फ्रेंस में देश के विभिन्न राज्यों से लगभग 150 प्रिंसिपल्स ने एक्टिविटली पार्टिशिपेट किया। इस कान्फ्रेंस में शैक्षणिक और प्रशैणिक उत्थान के लिए विभिन्न चर्चाएं आयोजित हुईं। बच्चों द्वारा मोबाइल और तकनीक के बढ़ते प्रयोग के कारण दिख रहे दुष्प्रभावों पर विशद मंथन किया गया। इस मंथन से स्पष्ट रूप से एक राय बनकर आई कि बच्चों को किसी न किसी तरह से आउटडोर गेम्स से जोड़ना ही होगा। वर्चुअली स्टडी से स्टूडेंट्स को हो रहे मानसिक, शारीरिक और शैक्षणिक नुकसान से उनके अभिभावकों को वाकिफ़ कराकर उन्हें स्कूल और कक्षा में अध्ययन की तरफ मोटिवेशन की आवश्यकता पर बल दिया गया। पैपा के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने बताया कि राजस्थान सरकार ने तो शिक्षा विभाग के नियमों से ही परे जाकर आगामी सत्र 2023-24 से वर्चुअल स्कूल का विकल्प तक प्रस्तुत कर दिया है। जिसके भयानक दुष्प्रभाव आने वाले समय में देखने को मिलने तय है। इस दौरान मस्तिष्क नियंत्रण विशेषज्ञ सुशील जायसवाल ने अपनी मेंटल मास्टरी के प्रेक्टिकल्स के माध्यम से सभी को सम्मोहित कर दिया। एज्यूकेशनल इंडिया के हैड डॉ. मनजीत जैन ने एज्यूकेशन इंडिया के संबंध में जानकारी दी और कॉन्फ्रेंस के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने आए हुए सभी पार्टिशिपेट्स का अभिनंदन किया तथा आभार भी ज्ञापित किया। नेशनल करिअर काउंसलर एवं मोटिवेशनल स्पीकर राधेश्याम पांडे, डॉ. आलोक कुमार सिन्हा, अनीश मुखर्जी इत्यादि ने विभिन्न विषयों पर अपने वक्तव्य दिये। इस अवसर पर क्लब इंडिगो को रिलांच किया गया। पार्टिशिपेट करने वाले सभी प्रिंसिपल्स को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर दो पैनल डिस्कशन भी हुए जिनमें लेखक एवं शिक्षाविद सृजन पाल सिंह, शिक्षाविद डॉ रानी पी एल, अंजू कुमारी, डॉ राजा सांलुखे, डॉ. उमासिंह, शिक्षाविद कपिल त्रिवेदी, डॉ. सुनीता सिंह, इंजीनियर कुलवंत मारवाल एवं यंग एज्यूप्रेन्योर सुश्री जिशा नैयर ने सार्थक परिचर्चाएं कीं। डूंगरपुर के प्रियकांत चौबीसा, भीलवाड़ा के सुनील बांगड़, झालावाड़ के मुकेश मौर्य, जैसलमेर के रामेश्वर बोरावात इत्यादि सहित राजस्थान के 7 शिक्षाविदों ने संभागित्व किया।

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