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बीकानेर,पक्के धर्मनिष्ठ हो तो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी धर्माचरण नहीं छोड़ोगे : श्रीराजेन्द्रदासजी महाराज
बीकानेर। भीनासर स्थित मुरलीमनोहर मैदान में चल रही श्रीभक्तमाल कथा का लाभ अब दो दिन और शेष है। हजारों श्रद्धालुओं को गौ गंगा गायत्री गौरी और गीता इन पांचों प्रकल्पों की महत्ता बताई जा रही है।  सप्तदिवसीय श्रीभक्तमाल कथा के पांचवें दिवस सोमवार को श्रीरामानंदीय वैष्णव परम्परान्तर्गत श्रीमदजगद्गुरु मलूक पीठाधीश्वर पूज्य श्रीराजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज ने कहा कि हजारों में केवल एक ही धर्मनिष्ठ होता है। पूरे ब्रह्मांड में ऐसे भक्त दुर्लभ हैं जो भगवान को प्रिय हैं। ऐसे भक्तों में शामिल है विभीषण। रामजी को विभीषण से अतिशय प्रेम था। आपके भीतर धर्मनिष्ठा होगी तो आप धर्म का पालन कर सकेंगे और यदि धर्म के प्रति शिथिलता है तो आप अपने घर में भी अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद धर्माचरण नहीं कर सकते, स्वधर्म का पालन नहीं कर सकते। संत कहते ही उसको हैं जो विद्वेष, कलह, युद्ध इन सबको पसंद न करे, निर्विकार, शांत-प्रशांत अवस्था में रह सके उसी को संत कहते हैं। साधु नीति यह है कि दुष्ट अपनी दुष्टता का त्याग नहीं कर सकता है तो हम अपनी सज्जनता का त्याग क्यों करें। कैसी भी परिस्थिति आ जाए हम अपनी सहजता-सरलता का त्याग न करें। शीलवान व्यक्ति उच्च पद पर होते हुए भी छोटे से छोटे व्यक्ति के साथ अहम्शून्य व्यवहार करता है। आयोजन समिति के घनश्याम रामावत ने बताया कि मंगलवार सुबह श्रीराजेन्द्रदासजी महाराज ने सींथल स्थित श्री राम द्वारे में रामस्नेही सम्प्रदाय के संतों के मध्य नामरूप की महत्ता बताई तथा नापासर में विगत 60 वर्षों से चल रहे गायत्री पुरषण अनुष्ठान में श्री गायत्री तथा विप्रवरों द्विजों का जो परम कर्तव्यों के बारे में जानकारी दी। इस दौरान सींथल पीठाधीश्वर श्रीक्षमारामजी महाराज से भी महाराजश्री ने मुलाकात की। आज कथा के दौरान पथमेड़ा पीठाधीश्वर गौऋषि दत्तशरणनंदजी महाराज, पूज्य रामप्रसादजी महाराज, रेवासा पीठाधीश्वर राघवाचार्यजी महाराज, कृष्णबिट्ठलजी महाराज, दाता रामेश्वरानंदजी महाराज सागर, कोडमदेसर महंत केशवदासजी महाराज, वृंदावन श्री रामसेवा आश्रम के महंत श्रीनवलरामजी महाराज, जोधपुर सूरसागर रामद्वारा के रामप्रसादजी महाराज, गडिय़ाला से सुखदेवजी महाराज का सान्निध्य मिला। आज के यजमान ओमप्रकाश स्वामी व गोपालदास रामावत परिवार रहे। आरती में गोपीकिशन जिन्दल, जगदीशप्रसाद सारड़ा, वासुदेव सिंह भाटी, जुगल राठी, मगन पाणेचा, रमेश गहलोत, गुलाब दफ्तरी, द्वारकाप्रसाद राठी, शिव सारस्वत, रामचंद्र धारणिया, विष्णु सारस्वत आदि शामिल रहे। कथा आयोजन में गजानंद रामावत, महादेव रामावत, मयंक भारद्वाज, श्रवण सोनी, नरसिंहदास मीमाणी, कुलदीप सोनी एवं मदनदास आदि जुटे हुए हैं। आवास व्यवस्था नन्दकिशोर रामावत, बलदेवप्रसाद पंचारिया, महेश रामावत, अशोक रामावत, पवन रामावत, हिरण्यबहादुर आदि संभाल रहे हैं।

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