बीकानेर,राजस्थान में राजनीतिक हवा बदलने लगी है। गहलोत को निशाने पर लेने वाले पायलट समर्थक विधायक खामोश है। जबकि गहलोत समर्थक विधायक और मंत्री भी सचिन पायलट पर सीधा हमला करने से बच रहे हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले पायलट समर्थकों की चुप्पी के अलग-अलग सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। पायलट समर्थक माने जाने वाले विधायक इंद्राज गुर्जर, वेद प्रकाश सोलंकी, खिलाड़ी लाल बैरवा, मंत्री राजेंद्र गुढ़ा और खुद का आलाकमान का समर्थक बताने वालीं दिव्या मदेरणा बयानबाजी से परहेज कर रही है। इन विधायकों ने राहुल गांधी की राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा की एंट्री से पहले नेतृत्व परिवर्तन की मांग की थी, लेकिन अब पायलट समर्थक रहस्यमयी चुपी साधे हुए है।
हालांकि, खुद सचिन पायलट भी खामोश है। जबकि पायलट ने 25 सिंतबर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने वाले गहलोत समर्थकों पर एक्शन लेने की मांग की थी। फिलहाल पायलट की मांग ठंड़े बस्ते में है। कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी पर चुप्पी साधे हुए है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजस्थान में बदलती राजनीतिक हवा को पायलट समर्थकों ने भांप लिया है। शायद नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा। इसलिए खामोश है। कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरण सीएम गहलोत के गृह जिले जोधपुर से विधायक है। दिव्या मदेरणा जोधपुर में सीएम गहलोत के हर कार्यक्रम से दूरी बनाकर चल रही थीं। दिव्या समर्थकों का मानना है कि अब हालात बदल गए है। सीएम गहलोत से सियासी बैर का खामियाजा विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है।
गहलोत के मंत्री पायलट पर सीधा हमला करने से बच रहे हैं
राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत में है। कांग्रेस विधायक अपने-अपने क्षेत्रों में बिजी है। गहलोत समर्थक विधायक और मंत्री भी सचिन पायलट पर सीधा हमला करने से बच रहे हैं। जानकारों का मानना है कि गहलोत समर्थर आधा दर्जन मंत्री और विधायकों की जीत का दारोमदार पायलट के इशारें पर निर्भर करता है। माना जा रहा है गहलोत समर्थक माने जाने वाले मंत्रियों की खामोशी के पीछे यह प्रमुख वजह हो सकती है। दौसा, टोंक, झालावाड़,अजमेर और सवाई माधोपुर के कुछ हिस्सों में सचिन पायलट की पकड़ मजबूत मानी जाती है। दौसा जिले से आने वाले स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीना, महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश और पर्यटन राज्यमंत्री मुरारी लाल मीना की हार-जीत पायलट समर्थकों पर निर्भर करती है। स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल ने पायलट को बाहरी बताया था, लेकिन अब बयानबाजी से परहेज कर लिया है। माना जा रहा है कि गहलोत समर्थक भी समझ गए है कि अब राजनीतिक हवा बदलने लगी है।
राहुल गांधी की यात्रा का असर
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा से पहले सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट को पार्टी के लिए धरोहर बताया था। राजस्थान में दोनों नेता यात्रा के दौरान राहुल गांधी संग कदमताल मिलाते हुए नजर आए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव के लिए एक साल का समय बचा है। ऐसे में अब पायलट समर्थक नेतृत्व परिवर्तन की मांग पर ज्यादा जोर नहीं देना चाहते है। शायद ही खामोशी की वजह हो सकती है।