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बीकानेर,राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में उतरे प्राइवेट सैक्टर डॉक्टरों के तैवर ठंडे करने के लिये गहलोत सरकार अब तगड़े एक्शन मूंड में आ गई है। सत्ता से जुड़े सूत्रों के अनुसार सीएम अशोक गहलोत के बार बार आग्रह के बावजूद आंदोलन पर उतरे प्राइवेट सैक्टर डॉक्टरों के तैवर ठंडे करने के लिये सरकार ने उनकी होस्पीटलों के लाईसेंस निरस्त करने की तैयारी कर ली है। इसके लिये प्रदेश के तमाम प्रमुख शहरों में उन प्राइवेट होस्पीटलों के लाईसेंस निरस्त करने की तैयारी चल रही है जो आरजीएचएस और चिंरजीवी योनजा से जुड़ी है। सरकार के इस एक्शन प्लान की भनक लगने के बाद प्राईवेट डॉक्टरों की संयुक्त संघर्ष समिति में हडक़ंप सा मचा हुआ है। सूत्रों की मानें तो सरकार ने इन होस्पीटलों को रियायती दरों पर मिली जमीनों और इनके निर्माण संबंधी फाईलों को खंगालना शुरू कर दिया है। सरकार के इस एक्शन प्लान से बचने के लिये प्रदेश के कई नामी होस्पीटल संचालकों और डॉक्टरों ने संयुक्त संघर्ष समिति से अपना नाता भी तोड़ लिया है। जबकि प्राईवेट डॉक्टरों का एक धड़ा अभी भी राइट टू हेल्थ बिल को लेकर आर पार की लड़ाई के लिये तैयार है। जानकारी के अनुसार सीएम गहलोत अभी दो दिन पहले जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि प्राइवेट अस्पताल कमाई करने के दस तरीके निकाल लेते हैं, लेकिन फिर भी राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे हैं। हम राइट टू हेल्थ बिल ला रहे हैं, लेकिन इसका कुछ प्राइवेट सेक्टर डॉक्टर विरोध कर रहे हैं। इन्हें विरोध नहीं करना चाहिए। उन्होने कहा कि कुछ लोग समझ नहीं पा रहे हैं, यह बिजनेस नहीं है। संविधान में प्रावधान है कि शिक्षा और स्वास्थ्य कोई धंधा नहीं है। यह सेवा का काम है। इसीलिए इन्हें ट्रस्ट और सोसाइटी बनानी पड़ती है। क्योंकि धंधा नहीं कर सकते, मुनाफा नहीं कमा सकते। यह अलग बात है कि कमाने के 10 तरीके निकाल लेते हैं। ढूंढे हुए हैं। इतना पैसा कमाते हैं, फिर भी वे इस बिल का विरोध कर रहे हैं। हमने उन्हें समझाने का प्रयास किया है। आज नहीं तो कल समझ जाएंगे। गहलोत ने कहा- हमारा उदेश्य प्रदेश की गरीब जनता को अच्छा और सस्ती दरों पर इलाज देना है। इसलिए हम राइट टू हैल्थ बिल लाए है,जो हम लागू करके रहेगें।

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