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बीकानेर,श्रीडूंगरगढ़ कस्बे के गोपाल गोशाला में शुक्रवार को गौ सम्मान आह्वान अभियान के निमित्त हुई बैठक में उपस्थित संतों, गो भक्तों और गो सेवकों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि यह अभियान किसी संस्था, संगठन या राजनीतिक दल के बैनर तले नहीं, बल्कि गौमाता के प्रधान संरक्षण और नंदी बाबा की अध्यक्षता में संचालित होगा। बैठक में उपस्थित संतों और गो सेवकों ने एक स्वर में कहा कि इस अभियान का उद्देश्य गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाना, गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करवाना और गो संवर्धन एवं उनके संरक्षण के लिए ठोस सरकारी नीतियां बनवाना है।

उपस्थित संतों ने सरकार से आग्रह किया कि गौ रक्षा के लिए केन्द्रीय कानून बनाया जाए, गो हत्या और गो तस्करी में लिप्त अपराधियों को आजीवन कारावास का प्रावधान हो तथा जब्त किए गए वाहनों को गो शालाओं के उपयोग में लाया जाए। इसके साथ ही, उन्होंने मांग की कि गोबर और गोमूत्र पर आधारित अनुसंधान विश्वविद्यालय स्थापित किए जाएं, पंचगव्य औषधियों का आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में निशुल्क वितरण किया जाए तथा सरकारी भवनों में गोबर पेंट और गौ नाइल का उपयोग अनिवार्य किया जाए। गौशालाओं को मनरेगा से जोड़ा जाए, बिजली बिल में छूट मिले और निराश्रित गौवंश की सेवा के लिए चारे की उचित व्यवस्था हो तथा सम्पूर्ण भारत में गोमाता की सुरक्षा के लिए एक केन्द्रीय कानून बने ।

*छह माह लगातार गौ संकीर्तन*

अभियान से जुड़ी कार्ययोजना के अनुसार, जनवरी से मार्च 2026 तक पूरे देश में प्रचार-प्रसार किया जाएगा। इसके बाद 27 अप्रैल में प्रत्येक तहसील और जिला मुख्यालय पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम प्रार्थना पत्र सौंपे जाएंगे। यदि अपेक्षित उत्तर न मिला, तो जुलाई और अक्टूबर 2026 में पुन- जिला, राज्यों एवं भारत की राजधानी में चरणबद्ध रूप से यह प्रक्रिया दोहराई जाएगी। इसके बाद 27 फरवरी 2027 को देश के 800 जिलों और 5000 तहसीलों से संत और गो भक्त देश की राजधानी दिल्ली में एकत्र होकर शांतिपूर्ण संकीर्तन के माध्यम से गौ सेवा, गौ सुरक्षा और गौ सम्मान के लिए केन्द्र सरकार से प्रार्थना करेंगे। यह संकीर्तन छह माह यानी 15 अगस्त 2027 तक चलेगा।

अहिंसक एवं शान्ति पूर्ण होगा अभियान

अभियान पूरी तरह अहिंसक रहेगा, इसमें किसी प्रकार का भाषण, मंचीय उद्घोषणा या राजनीतिक स्वरूप नहीं होगा। कोई भी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा, केवल संकीर्तन, प्रार्थना और जनजागरण के माध्यम से संदेश दिया जाएगा।

अभियान का प्रतीक केवल नंदी महाराज और गौमाता का चित्र होगा। देश के सभी संतों, गो प्रेमियों ने भारत के समस्त सनातन समाज को इस पवित्र और निष्काम आंदोलन से जुडने की अपील की है।

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