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बीकानेर.शहरभर के कचरे को अब वल्लभ गार्डन क्षेत्र में बने डंपिंग यार्ड में डाला जा रहा है। यहां पर धीरे-धीरे कचरे का पहाड़ आकार ले रहा है, जिस पर पेट भरने के लिए कुत्ते, गाय-गोधे और प्रवासी पक्षियों ने ठिकाना भी बना लिया है। जोड़बीड़ से बाहर बड़ी तादाद में यहां प्रवासी पक्षियों ने डेरा डाल रखा है। हालांकि डंपिंग यार्ड में कचरा निस्तारण के लिए प्लांट लगाया गया है, परन्तु इसे अभी शुरू नहीं किए जाने से कचरे का पहाड़ बढ़ता जा रहा है। शहर से रोजाना करीब चार सौ टन कचरा निकल रहा है। जो ट्रैक्टर-ट्रॉली और ऑटो टीपर के माध्यम से इस यार्ड में डाला जाता है। करीब दो साल पहले गोगागेट डंपिंग यार्ड क्षेत्र में कचरे का पहाड़ बन जाने के बाद नगर निगम ने कचरा डालने के लिए वल्ल्भ गार्डन क्षेत्र की सरकारी भूमि को चुना था। माना यह जा रहा था कि नए स्थान पर कचरा निस्तारण प्लांट लगाया जाएगा, जिससे खुले में पड़ा कचरा प्रदूषण नहीं फैलाएगा। आस-पास के क्षेत्र में कोई परेशानी नहीं होगी। परन्तु प्लांट शुरू नहीं होने से धीरे-धीरे वल्लभ गार्डन डंपिंग यार्ड में भी गोगागेट क्षेत्र की तरह कचरे का पहाड़ बनना शुरू हो गया है। दस-बारह फीट के इस कचरे के ढेर पर इन दिनों गिद्ध, बाज और चील जैसे मांसभक्षी और प्रवासी पक्षी सैकड़ों की तादाद में जमा हो गए हैं। इसी के साथ बड़ी तादाद में कुत्ते और गाय-गोधे भी दिनभर पेट भरने के लिए डंपिंग यार्ड के कचरे में मुंह मारते हैं।

मीट अपशिष्ट और मेडिकल वेस्ट भी

पक्षी विशेषज्ञ दाऊलाल वोहरा के मुताबिक,वल्लभ गार्ड डंपिंग यार्ड प्रवासी पक्षियों के ठिकाने जोड़बीड़ से थोड़ी ही दूरी पर है। इस डंपिंग यार्ड में शहर से निकलने वाले कचरे के साथ मीट कारोबारियों के यहां से निकलने वाले मीट अपशिष्ट को भी फेंका जाता है। साथ ही अस्पतालों से निकलने वाले मांस के मेडिकल वेस्ट को डाला जाता है, जिसके चक्कर में वल्चर जोड़बीड़ से बाहर इस नई जगह पर प्रवास करने लगे हैं।

गोवंश के लिए खतरा

कचरे के ढेर में प्लास्टिक की थैलियां भी होती हैं, जिनमें खाद्य पदार्थ होने के चलते गाय और गोधे प्लास्टिक की थैलियों को निगल रहे हैं, जो उनकी आंतों में फंसकर जानलेवा साबित हो रही है। नगर निगम की ओर से कचरे को यहां फेंकने के बाद इसके निस्तारण के लिए प्लांट को शीघ्र शुरू करना चाहिए। अन्यथा यह कचरे का पहाड़ दिन-प्रतिदिन बड़ा हो जाएगा। साथ ही गोवंश भी पॉलीथिन खाकर काल का ग्रास बनते जाएंगे।

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