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जयपुर। चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांतिसागर महाराज के शिष्य आचार्य वीर सागर महाराज की शिष्या गणिनी आर्यिका रत्न सुपार्श्वमती माताजी की शिष्योत्तमा गणिनी आर्यिका श्री गौरवमती माताजी का गुरुवार को मध्यरात्रि 11.22 बजे पर परम पूज्य आचार्यश्री सुनील सागर महाराज ससंघ सानिध्य में समाधि मरण हो गया।

गुरुवार को आचार्यश्री सुनील सागर महाराज ने श्याम नगर आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में जाकर माताजी को संबोधन दिया एवं भट्टारक जी की नसियां में आने का आशीर्वाद भी दिया। अस्वथ्य होते हुए भी माताजी ने गुरु आज्ञा का पालन करते हुए भट्टारक जी की नसियां में सायं 4.15 बजे के लगभग पदार्पण किया। किंतु काल की गति को अब तक कौन रोक पाया है। दिनभर आचार्यश्री सुनील सागर महाराज एवं संघ के साधु – साध्वियों ने माताजी को कई पाठ सुनाए एवं दिनभर णमोकार का पाठ चलता रहा। दर्शनार्थियों की देर रात तक भीड़ बढ़ती रही एवं सभी माताजी की कुशलक्षेम पूछते रहे और उनके सुस्वास्थ्य होने की कामना करते रहे। किंतु मृत्यु के शाश्वत सत्य को आज तक कौन रोक पाया है। रात्रि 11.22 बजे माताजी ने णमोकार पाठ एवं भक्ति आराधना के बीच अंतिम श्वास ली और वे सदा सर्वदा के लिए हमें छोड़कर चली गई। प्रातः गंज यात्रा को वेय्यावृति हुई एवं सभी साधु संतों ने संबोधित किया। सभी का यह कहना था की इतने विशाल संघ के बीच सभी आहारों का त्याग करते हुए निर्विकार भाव से माताजी की दुर्लभ समाधि हुई है जो हर किसी के नसीब में नहीं होती है।

अखिल भारतीय दिगंबर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने जानकारी देते हुए बताया की जब यह समाचार आग की तरह चारों तरफ फैला तो हजारों की तादाद में भक्तजन भट्टारक जी नसियां में पहुंचने लगे व आश्रपूर्ण श्रद्धासुमन अर्पित करने लगे। माताजी के चले जाने पर उनके गृहस्थ अवस्था के परिवारजन, समाज एवं गुरु भक्त मंडल परिवारजन ने अश्रुमिश्रित श्रद्धांजलि दी । शुक्रवार प्रातः 7.00 बजे भट्टारक जी की नसियां से डोल (अंतिम) यात्रा चुलगिरी के लिए प्रारंभ हुई। माताजी के जयघोष के नारे लगने लगे। जब तक सूरज चांद रहेगा, गौरवमती माताजी तेरा नाम रहेगा। डोल यात्रा को श्रद्धालु अपने कंधों पर ही लेकर गए और करीब 9.15 बजे चुलगिरी पर यात्रा पहुंची। विधानाचार्य धर्मचंद शास्त्री के दिशा निर्देश के अनुसार माताजी का जल, दुग्ध, सर्वोषधि आदि से पंचामृत अभिषेक आदि की सभी विधि विधान प्रक्रियाएं पूरी की गई। विख्यात वास्तुविद राजकुमार कोठ्यारी ने भी क्रिया विधि संपन्न करवाई। इसके उपरांत बारी – बारी समाज बंधुओ, मुनिराजों, आर्यिका माताजी एवं संघस्थ साधु साध्वियों ने परिक्रमा दी गई। सभी गुरुभक्तों द्वारा धूप, श्रीफल, चंदन की लकड़ी से अर्घ की एवं माताजी के गृहस्थ अवस्था के परिवारजनों, भक्त मंडल परिवार के सदस्यों द्वारा अग्नि प्रवज्जलित कर दाह संस्कार विधि संपन्न की गई।

*जयपुर की सभी कॉलोनियों से उमड़े श्रद्धालु*

गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी की डोल यात्रा प्रातः 7.00 बजे से प्रारंभ हुई इस दौरान समाजसेवी अनिल जैन धुंवा वाले, सुभाष जैन, प्रभात जैन, शरद जैन, अमित जैन (जबलपुर), मनोज झांझरी, राजेश गंगवाल, सुनील बक्सी, कमलबाबू जैन, मनीष वैद, सुनील पहाड़िया, पारस गंगवाल, निहालचंद पांड्या (अध्यक्ष श्याम नगर मंदिर ट्रस्ट समिति), सुरेश सबलावत, राजकुमार सेठी, प्रदीप चुड़ीवाल, विमल बगड़ा (तेजपुर), सरोज चुड़ीवाल (आंध्र प्रदेश), राजेश सेठी (कलकता), अशोक गोधा (उदयपुर), राजेंद्र बडजात्या, प्रवीण बड़जात्या, अजीत पाटनी, सर्वेश जैन, मनोज पहाड़िया, आशीष गोधा, मनोज गोधा, संजय जैन (वरिष्ठ भाजपा नेता), जेके जैन (कोटा), जीएम जैन, राकेश जैन, धनकुमार काला, अशोक बाकलीवाल सहित मानसरोवर, झोटवाड़ा, मालवीय नगर, दुर्गापुरा, सूर्यनगर, जनकपुरी, इमली फाटक, कीर्ति नगर, नेमी सागर कॉलोनी, वैशाली नगर, विवेक विहार, पदमपुरा, प्रताप नगर, सांगानेर आदि सभी कॉलोनियों और विभिन्न शहरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

*शनिवार को आचार्यश्री सुनील सागर महाराज ससंघ सानिध्य में भट्टारक जी की नसिया में प्रातः 8 बजे से होगी विनयांजलि सभा*

अधिवक्ता हेमंत सोगानी ने बताया की गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी को श्रद्धा सुमन अर्पित करने हेतु शनिवार को प्रातः 8 बजे से भट्टारक जी की नसियां नारायण सिंह सर्किल पर विनयांजलि सभा का आयोजन आचार्यश्री सुनील सागर महाराज ससंघ सानिध्य में होगा। जिसमे समाज श्रेष्ठी और समाज के वरिष्ठ पदाधिकारियों सहित संघ में विराजमान साधु और साध्वी माताजी को श्रद्धांजलि अर्पित करेगे।

 

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