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बीकानेर राजस्थान के पर्व त्योहारों में गणगौर का प्रमुख स्थान है। पारम्परिक गणगौरी गीतों की गूंज गणगौर सवारी और पूजा-अर्चना की परम्परा इस पर्व के अभिन्न अंग है। धुलंडी के दिन से शुरू होने वाले इस पर्व में न केवल बालिकाएं और महिलाएं, बल्कि पुरुष भी भक्ति भाव के साथ शामिल होते हैं और गवर-इंसर की पूजा अर्चना करते हैं। विभिन्न आकार, रंग, रूप और सजी-संवरी गणगौर प्रतिमाएं हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं। बीकानेर में रियासतकाल से ही गणगौर प्रतिमाओं को बनाने और पूजन की परम्परा रही है। बीकानेर में बनने वाली लकड़ी की गणगौर प्रतिमाएं दशकों से देश के विभिन्न स्थानों पर न केवल विक्री के लिए पहुंच रही है, बल्कि दशकों से उनकी पूजा-अर्चना भी हो रही है। बीकानेर के गणगौर प्रतिमाओं को बनाने वाले कलाकारों ने अपनी सिद्धहस्त कला से देश में अलग ही पहचान बनाई है।

गणगौर प्रतिमाओं को बनाने के कार्य से जुड़े सांवर लाल सुधार बताते हैं कि गणगौर प्रतिमाओं को बनाने का कार्य पूरे साल चलता है। लकड़ी पर बारीक कारीगरी का कार्य होने के कारण एक प्रतिमा 15 से 20 दिन में बनकर तैयार होती है। कई कारीगर मिल कर एक प्रतिमा को तैयार करते हैं।

गणगौर प्रतिमाएं आडू, चीड़, सफेदा सहित कई प्रकार की लकड़ियों से बनाई जाती हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी इस कार्य से जुड़े सांवार लाल बताते हैं 9 इंच से 5 फुट तक कि सागवान की लकड़ी से बनने वाली प्रतिमाएं मजबूत और आकार खूबसूरती लिए होती है। सागवान से बनी प्रतिमाओं की उम्र कई पीढ़ियों तक होती है। खूबसूरती और मजबूती इसकी खास विशेषता है।

बीकानेर में तैयार होने वाली गणगौर प्रतिमाओं की बनावट न केवल विशेष है, बल्कि चटकदार रंग, प्रतिमाओं की खूबसूरती, मनमोहक बनावट हर किसी का मन मोह लेती है। गणगौर प्रतिमाओं के व्यवसाय से जुड़े आसू महात्मा बताते हैं कि हर साल बड़ी संख्या में गणगौर प्रतिमाएं महाराष्ट्र, उडीसा, चेन्नई, दिल्ली, कोलकाता, अहमदाबाद, जयपुर, जोधपुर, अजमेर सहित देश व प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर बिक्री के लिए जाती हैं।

गवर, ईसर और भाया की प्रतिमाएं विभिन्न आकार में उपलब्ध हैं। गणगौर प्रतिमाएं बनाने के कार्य से जुड़े गिरधरलाल सुथार बताते हैं कि प्रतिमाएं 9 इंच आकार से 5 फुट आकार तक उपलब्ध रहती हैं। गणगौर प्रतिमाओं में गवर की एक प्रतिमा के साथ ईश्वर के जोड़े में भी प्रतिमाओं की बिक्री होती है

सावर लाल बताते हैं कि सागवान से बनी प्रतिमाओं की देशभर में मांग बनी रहती है। वे बताते हैं कि उनकी ओर से बनाई जा रही प्रतिमाओं में गवर ईसर के पंजे, आशीर्वाद देते मुद्रा गणगौर प्रतिमाओं में गवर की एक गोल्डन वर्क में पाटा प्रमुख हैं।

गणगौर प्रतिमाओं को बनाने और बिक्री के कार्य में परिवार के सभी सदस्य जुटे हुए हैं। पुरुष सदस्य जहां प्रतिमाएं बनाने, बिक्री आदि के काम में जुटे रहते हैं। वहीं बालिकाएं और महिलाएं प्रतिमाओं को पारम्परिक वेशभूषा और आभूषणों से श्रृंगारित करने का काम कर रहे हैं।

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