बीकानेर, मलमास 15 दिसंबर से शुरू होगा। पूरे एक महीने तक शादी विवाह और मांगलिक कार्यक्रम वर्जित रहेंगे। 14 जनवरी के बाद शुभ कार्य पुनः शुरू होंगे। मलमास के दौरान दान पुण्य और धार्मिक कार्यक्रम होंगे। ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार ज्योतिष गणना अनुसार सूर्य 12 राशियों में चलायमान होते हुए जब धनु राशि में प्रवेश करता है, इस समय को
मलमास (खरमास) कहा जाता है। इस बार मलमास 15 दिसंबर से शुरू होगा व 14 जनवरी तक रहेगा। एक माह तक विवाह, यज्ञोपवित, घर प्रतिष्ठा, देव प्रतिष्ठा, नए प्रतिष्ठान की शुरूआत मुंडन संस्कार आदि सभी शुभ कर्म वर्जित रहेंगे। नाम संस्कार और नक्षत्र शाँति आदि शुभ कार्य होंगे।
पंडित किराडू के अनुसार 14 जनवरी के बाद पुनः शादी विवाह आदि मांगलिक कार्यक्रमों की शुरूआत होगी। जनवरी में 22, 23 और 25 जनवरी को श्रेष्ठ मुहूर्त में शादी-विवाह के कार्यक्रम होंगे। वहीं फरवरी में 5,9,10,16, 18, 19 फरवरी को श्रेष्ठ मुहूर्त में शादी विवाह के आयोजन होंगे।
तिल व मूंगफली से बने पदार्थों की सजी दुकानें
मलमास और मकर संक्रांति के अवसर पर शहर में तिल, गुड और मूंगफली से बनने वाले विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री की अधिक बिक्री होती है। शहर में जगह-जगह इनकी दुकानें सजने के साथ बिक्री शुरू हो गई है। शहर के अंदरुनी हिस्सों से लेकर बाहरी क्षेत्रों में स्थित कॉलोनियों तक में सजी दुकानों पर खरीदारी हो रही है। सर्दियों के दिनों में तिल, गुड़ व मूंगफली सेबनी बनी खाद्य सामग्री का उपयोग घर-घर में होता है। मकर संक्रांति के अवसर पर शहर में इन खाद्य सामग्री के दान पुण्य की विशेष परंपरा है। शहर में स्थित इन खाद्य सामग्री के कारखानों में बड़े स्तर पर इन्हें तैयार किया जा रहा है।
मकर संक्रांति पर होंगे दान-पुण्य
सनातन धर्म में मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति को देश को विभिन्न प्रांतों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति पर देश के कई हिस्सों में पतंगबाजी भी होती है। मकर संक्रांति पर शहर में परम्परा अनुसार तिल, गुड़, मूंगफली आदि से निर्मित खाद्य वस्तुओं का दान किया जाएगा। इस दौरान बहन बेटियों के ससुराल घेवर, फीणी और तिल से बनी वस्तुओं को भेजने की भी परम्परा है। महिलाएं तेरुण्डे के रूप में एक समान तेरह वस्तुओं का भी दान करती है।