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बीकानेर,बीकानेर तमाम कोशिशों और आश्वासनों के बावजूद पुलिस आम लोगों का विश्वास हासिल कर पाने में नाकाम साबित हो रही है। इस बात की गवाही वे आंकड़े दे रहे हैं, जिसमें थानों के रवैये से निराश-परेशान और क्षुब्ध लोग सीधे एसपी के पास पहुंच गए।

इनमें से अधिकांश के मामले में यह तथ्य सामने आया है कि पुलिस थानों में अभद्र व्यवहार एवं सुनवाई नहीं होने के चलते उन्होंने एसपी कार्यालय का रुख किया। गौर करने वाली बात यह है कि पिछले साल करीब पांच सौ परिवादी सीधे एसपी से मिले। एसपी के निर्देश पर थानों में मामले भी दर्ज हुए। हैरत वाली बात यह है कि इनमें से 17 परिवादी शिकायत लेकर थाने गए ही नहीं। उन्होंने सीधे एसपी को ही परिवाद दिया। दरअसल, उन्हें थानों की कार्यशैली पर भरोसा ही नहीं था। इसलिए उन्होंने ऐसा किया। एसपी के आदेश पर थानों में मुकदमा दर्ज हुआ। ऐसा तब है, जब खासतौर से बीकानेर में थानों की कार्यशैली पर खुद बड़े अफसरों ने निगाह रखी। कई मामलों में तो तुरत-फुरत कार्रवाई भी हुई। इनमें निलंबन तक की कार्रवाई शामिल है।

दहेज के मामले अधिक

आंकड़ों के मुताबिक, परिवाद में दहेज से संबंधित मामलों में गुणात्मक वृद्धि दर्ज की गई है। ऐसे मामलों में पुलिस को संजीदगी से काम लेने की नसीहत के चलते महिलाएं बेखौफ एसपी के यहां परिवाद देकर अपना मसला उनके संज्ञान में ला रही हैं। यही कारण है कि यहां भी उल्लेखनीय आंकड़े सामने आए हैं।

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन से भी बढ़ रही मुकदमों की संख्या

पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, कहीं से भी अपनी शिकायत दर्ज करवाने की सुविधा हो जाने का असर भी मामलों के पंजीकरण पर पड़ा है। इसके चलते मुकदमों की संख्या हर साल बढ़ रही है। इसके अलावा भी दो वजहें प्रमुख हैं, जिनसे मुकदमों की संख्या बढ़ रही है। एक तो लोगों में जागरूकता आई है और दूसरा पुलिस सरकार के निर्देशानुसार परिवाद दर्ज करने को लेकर थोड़ा सहज हुई है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि अधिकांशत: परिवाद के मामलों में यह भी देखा जा रहा है कि जांच के बाद उनमें से कई गढ़े हुए भी हो रहे हैं, जो रंजिशन दर्ज करवाए जा रहे हैं। यह अनुपात लगभग 7:3 का है। यानी करीब 70 फीसदी मामले सही नहीं पाए जा रहे। ऐसे में पुलिस झूठे मुकदमे दर्ज करवाने वालों के खिलाफ भी एक्शन ले रही है।

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