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बीकानेर,शहर में विकास का दावा करने वाली सरकार व प्रशासन के दावे कितने सार्थक है। इसकी बानगी जिला कलक्टर कार्यालय से दो मीटर की दूरी पर ही देखने को मिल रही है। जहां रियासतकालीन गेट की दीवार टूटी पड़ी है और गेट न होने के कारण इसे बंद कर दिया गया है। हालात यह है कि शहर में विकास कार्यों को करवाने वाले जिले की मालिक व बीडीए की मुखिया जिला कलक्टर का ध्यान भी इस ओर नहीं जा रहा है। मंजर यह है कि टूटा गेट और क्षतिग्रस्त दीवार की वजह से बंद किये गये तीसरे गेट के रास्ते के चलते आवागमन प्रभावित हो रहा है। जिस कारण यहां सुबह व शाम को घंटों जाम की स्थिति पैदा हो रही है। मजे की बात तो यह है कि इस प्रभावित यातायात को सुगम करवाने के लिये यहां ट्रेफिककर्मी भी नदारद रहते है। ऐसे में कई बार तो वाहन चालकों में झगड़े तक होते है। पता चला है कि इस इस गेट से आवागमन बंद करने की मुख्य वजह यहां हुए हादसे है। क्षतिग्रस्त दीवार के कारण एक छ:वर्षीय बालिका घायल हो गई थी। इस गेट को ठीक करने की बजाय प्रशासन ने अपनी इसी गलती को छिपाने के लिये इस गेट का आवागमन बंद कर दिया।
पूर्व पार्षदों ने दी चेतावनी
उधर गुरूवार को दोपहर पूर्व पार्षद मनोज विश्नोई और प्रफुल्ल हटीला ने मौका स्थल पहुंचकर शहर की इस प्रमुख समस्या पर नाराजगी जताते हुए जिला प्रशासन को पांच दिनों का अल्टीमेटम दिया है कि यदि इस गेट को तुरंत ठीक करवाकर यातायात सुगम नहीं किया गया तो वे रास्ता जाम कर आन्दोलन करेंगे। विश्नोई ने कहा कि बीडीए शहर में विकास की बात करता है। जबकि अपने कार्यालय से महज दौ सौ मीटर दूरी पर ही किस प्रकार का विकास कर रहा है। इसका नमूना दिख रहा है। प्रशासन के अधिकारी एससी में बैठकर केवल कागजी घोड़े दौड़ा रहे है और प्रभारी सचिव को आंकड़ों के मकडज़ाल दिखाकर थोथी वाही वाही लूट रहे है। अगर प्रशासन ने इस गेट को ठीक नहीं किया तो आन्दोलन कर अधिकारियों का घेराव करेंगे।

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