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बीकानेर, यह उद्गार व्यक्त करते हुए राजस्थानी मोट्यार परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए डॉ गौरी शंकर प्रजापत ने कहा कि वर्तमान युवा ही राजस्थान की दशा और दिशा तय करेगा। राजस्थान की संस्कृति राजस्थान का रोजगार बचाने में अपनी अहम भूमिका निभाने के लिए युवाओं को कमर कस कर आगे आना होगा।

इसी कड़ी में डॉ हरिराम विश्नोई ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि अगर राजस्थान के बेरोजगारों को रोजगार चाहिए अगर राजस्थान की संस्कृति को बचाना है तो युवाओं को कंधे से कंधा मिलाकर राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए आगे आना होगा ।

राजस्थानी भाषा को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ने के लिए एक अहम मील के रूप में साबित होने वाली नागौर में आयोजित होने वाली 27 नवंबर को राष्ट्रीय संगोष्ठी में युवाओं से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने का आह्वान किया डॉक्टर हरिराम विश्नोई ने बताया कि इस एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में पूरे भारतवर्ष से राजस्थानी के शिक्षाविद एकत्रित हो रहे हैं और इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के माध्यम से राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए एक नए सिरे से आंदोलन का स्वरूप तय होगा और यह स्वरूप युवाओं के अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा डॉ बिश्नोई ने बताया कि यह राष्ट्रीय संगोष्ठी मात्र संगोष्ठी नहीं अपितु राजस्थान की संस्कृति को बचाने, राजस्थान के बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलाने के दिशा क्रम में एक अलग ही पहचान के रूप में स्थापित होगी ।

सरजीत सिंह, राजेश चौधरी, प्रशांत जैन ,मुकेश रामावत,भरतदान चारण, रामावतार उपाध्याय आदि युवाओं की टीम के सानिध्य में युवाओं के जोश से लबरेज पूरी टीम बीकानेर से बस द्वारा नागौर पहुंचेगी।

एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को ख्यातनाम कवि आलोचक डॉ अर्जुन देव चारण,नागौर जिला कलेक्टर डॉ जितेंद्र कुमार सोनी,जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ गजे सिंह राजपुरोहित,पदमश्री श्री हिम्मताराम भाम्भू , वरिष्ठ साहित्यकार तथा साहित्य अकादमी संयोजक मधु आचार्य आदि भी संबोधित करेंगे।
यह संगोष्ठी राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए अहम पड़ाव साबित होगी।

सुनील सांखला, कृष्ण चंद्र पुरोहित, अजयकंवर,शारदा बिश्नोई आदि ने भी बैठक को संबोधित करते हुए अधिक से अधिक संख्या में युवाओं को नागौर पहुंचने का आह्वान किया।

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