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बीकानेर,राजस्व वन महोत्सव के तहत जिले के 411 राजस्व परिसरों में पौधारोपण किया जाएगा। इसकी शुरूआत संभागीय आयुक्त कार्यालय से होगी। जहां ‘मियावाकी तकनीक’ से पौधे लगाए जाएंगे।
संभागीय आयुक्त डाॅ. नीरज के. पवन ने सोमवार को राजस्व वन महोत्सव की पूर्व तैयारियों की समीक्षा के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि महोत्सव के तहत 8 अगस्त तक जिला कलक्टर कार्यालय से लेकर उपखण्ड अधिकारी, गिरदावर और पटवार कार्यालयों तक पौधारोपण होगा। संभाग में पहली बार सरकारी स्तर पर जापान की मियावाकी तकनीक से पौधारोपण किया जाएगा। इस दौरान संभागीय आयुक्त कार्यालय परिसर में जाल, करंज, रोहीड़ा, शीशम, नीम और अमरूद्ध सहित 20 प्रकार के पौधे लगाए जाएंगे।
संभागीय आयुक्त ने मियावाकी तकनीक से पौधारोपण से पूर्व संभागीय आयुक्त कार्यालय परिसर में सभी आवश्यक तैयारियां करने के निर्देश वन विभाग को दिए। इसके अनुरूप पौधारोपण की तिथि का निर्धारण किया जाएगा। उन्होंने जिले के समस्त राजस्व परिसरों में पौधारोपण के लिए आवश्यक दिशानिर्देश जारी करने को कहा। साथ ही पौधों की देखभाल सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
बैठक में सम्भागीय मुख्य वन संरक्षक जयप्रकाश, अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) ओमप्रकाश, उप वन सरंक्षक रंगा स्वामी ई. मौजूद रहे।
*यह है मियावाकी तकनीक*
यह वनरोपण की एक पद्धति है, जिसका आविष्कार मियावाकी नामक जापानी वनस्पतिशास्त्री ने किया था। इस पद्धति में छोटे-छोटे स्थानों पर छोटे-छोटे पौधे रोपे जाते हैं, जो साधारण पौधों की तुलना में दस गुनी तेजी से बढ़ते हैं। इसके लिए सबसे पहले तीन अलग-अलग पौधों की प्रजातियों की एक सूची बनानी होती है, इसके लिए ऐसे पौधे चुने जाते हैं जिनकी ऊँचाई पेड़ बनने पर अलग-अलग हो सकती है। इसके बाद एक गड्ढा बनाना होता है, जिसका आकार-प्रकार भूमि की उपलब्धता पर निर्भर होता है। इस गड्ढे में कम्पोस्ट की एक परत डाली जाती है, तत्पश्चात प्राकृतिक कचरे की एक परत गिराई जाती है और सबसे ऊपर लाल मिट्टी की एक परत बिछाई जाती है। तीनों पौधे एक साथ नहीं रोप कर थोड़े-थोड़े दिन पर रोप जाते हैं। यह पूरी प्रक्रिया 2-3 सप्ताह में पूरी हो जाती है।

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