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बीकानेर,इस बार 100 से अधिक जिला शिक्षा अधिकारी स्तर के अधिकारी स्कूलों में केंद्र अधीक्षक बनकर बोर्ड की परीक्षाएं कराएंगे। वैसे तो जिला शिक्षा अधिकारी स्तर के अधिकारी जिले की शिक्षण व्यवस्था को संभालते हैं तथा जिले में हर शैक्षिक गतिविधियां के संचालन की जिम्मेदारी उनके कंधों पर होती है लेकिन इस बार 100 से कहा गया है। हैं, जो माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाएं केंद्राधीक्षक बनकर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि जिला शिक्षा अधिकारी जिले की व्यवस्थाएं नहीं संभाल कर एक परीक्षा केंद्र को संभालेंगे।

ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि प्रधानाचार्यों से जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर पदोन्नत हुए अधिकारियों को एक महीने बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी के पदों पर पदस्थापन नहीं दिया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी पदों पर पदोन्नत हुए करीब 132 प्रधानाचार्यो को उनके जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर पदस्थापन होने तक अपने वर्तमान पद पर ही कार्य करने को कहां गया है। इनमें से करीब 100 शिक्षा अधिकारी स्कूलों में प्रधानाचार्य के पदों पर कार्यरत बताए जाते है। चूंकि पद पर होने के कारण केंद्राधीक्षक अब 24 मार्च से बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं तो उन्हें प्रधानाचार्य के पद पर होने के कारण केंद्रअधीक्षक बंद कर बोर्ड की परीक्षा करानी होगी।

राजस्थान शिक्षक संघ अरस्तू के प्रांतीय अध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल का कहना है कि बोर्ड परीक्षा केंद्रो पर उड़न दस्तों में अधिकतर प्रधानाचार्य व्याख्याता वरिष्ठ अध् व अध्यापक होते हैं। वे उन परीक्षा केंद्रों का भी निरीक्षण करेंगे जहां जिला शिक्षा अधिकारी स्तर के अधिकारी केंद्राधीक्षक होंगे, जो उचित नहीं होगा। संगठन का कहना है कि पदोन्नत जिला शिक्षा अधिकारियों के सम्मान को ध्यान में रखते हुए उन्हें उड़न दस्तों में शामिल करना बेहतर होगा। ऐसे पदोन्नत जिला शिक्षा अधिकारियों की स्कूलों में किसी अन्य प्रधानाचार्य स्तर के शिक्षा अधिकारी को केंद्र अधीक्षक बना कर उन्हें उड़न दस्ते में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि उनका सम्मान और स्वाभिमान बना रहे।

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