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बीकानेर,उत्तरी राजस्थान के इतिहास में पहली बार 9 महीने के शिशु का मोतियाबिंद ऑपरेशन व लेंस प्रत्यारोपण मारवाड़ अस्पताल में डॉ.सौरभ भार्गव द्वारा किया गया

बच्चे का नाम हिमांशु हैं, जो जन्म से ही मोतियाबिंद से पीड़ित था, दुनिया की नवीनतम माइक्रो फेको तकनीक का उपयोग करके मोतियाबिंद सर्जरी के लिए बच्चे का ऑपरेशन किया गया ।

माता पिता ने अपने बच्चे की दृष्टी की अनुपस्थिति के संबंध में मारवाड़ अस्पताल में डॉक्टर सौरभ भार्गव से परामर्श किया, डॉक्टर नीलम भार्गव और डॉक्टर सौरभ भार्गव द्वारा किए गये परीक्षणों और बायोमेट्री की एक श्रंखला के बाद उसे मारवाड़ अस्पताल के “आई ओटी” में सर्जरी के लिए ले जाया गया |

ओटी टीम में एनेस्थेटिस्ट डॉक्टर लोकेश अरोड़ा, आई ओटी” स्टाफ कृष्ण कुमार, रामकुमार, शिव रंगा, महेश, श्रवण, आनंद और यश शामिल थे। उपयोग की जाने वाली सर्जिकल तकनीक माइक्रो फेको प्रणाली थी जिसमें मोतियाबिंद Capsulorrhexis Followed By Irrigation And Aspiration का उपयोग किया गया,

उत्तरी राजस्थान के इतिहास में पहली बार Space में Viscoat को इंजेक्ट करके PCCC किया गया | इसके बाद Anterior Vitrectomy की गई | इसके बाद केवल 2.0 मिमी के चीरे से सिंगल पीस हाइड्रोफोबिक आईओएल (लेंस) का प्रतिरोपित किया गया | बाद में बच्चे को बाल रोग Ward में स्थानांतरित कर दिया गया जहाँ डॉ. गौरव गोम्बर, डॉ. प्रताप सिंह एवं डॉ एच.के. सुधार के टीम ने हिमांशु की देखभाल की अगले दिन कुछ ही पलों में बच्चे ने अपनी दृष्टी की यात्रा शुरू की एवं उसने अपने जीवन में पहली बार चीजों को देखा | डॉ. सौरभ भार्गव ने टिप्पणी की बच्चे के पुनर्वास में कुछ समय लगेगा क्योंकि उसका मस्तिष्क

वह जो देख रहा है उसका विश्लेषण करना शुरू कर देगा | मारवाड़ अस्पताल के प्रबंधक अनिल जुनेजा ने कहा कि यह एक मील का पत्थर सर्जरी थी और नवीनतम मशीनों और प्रौद्योगिकी के समावेश के साथ मारवाड़ अस्पताल क्षेत्र में सर्वोतम नेत्र देखभाल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

 

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