बीकानेर, स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के स्तर पर पहली बार प्रमाणित बीज का उत्पादन किया जाएगा। इसको लेकर राष्ट्रीय बीज परियोजना के अंतर्गत कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक प्रयासरत हैं। इसी क्रम में राष्ट्रीय बीज परियोजना की ओर से आधार और प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए आवश्यक बीज प्रमाणीकरण और विभिन्न समस्याओं पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलसचिव डॉ देवाराम सैनी ने की।
कार्यक्रम में कुलसचिव डॉ देवा राम सैनी ने कहा कि हम अक्सर नकली बीज, नकली खाद से किसानों को पिटता हुआ देखते हैं। ऐसे में अगर स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक किसानों को विभिन्न फसलों का अच्छी क्वालिटी का प्रमाणित बीज उपलब्ध करवाते हैं तो इससे ना केवल विश्वविद्यालय की साख और अच्छी होगी बल्कि किसानों को भी बड़ा फायदा मिलेगा। कृषि वैज्ञानिक टाइम लाइन के साथ कार्य कर किसानों को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचाएं। विश्वविद्यालय के प्रमाणित बीजों की मांग भी बढ़ जाएगी। इससे पूर्व राजस्थान राज्य बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण संस्था के उप बीज प्रमाणीकरण अधिकारी श्री अशोक कुमार बंसल व सहायक बीज प्रमाणीकरण अधिकारी श्री संजीव कुमार ने बीज प्रमाणीकरण, बीज पंजीकरण एवं उत्तम बीज उत्पादन पर व्याख्यान प्रस्तुत किए व कार्यक्रम में उपस्थित कृषि वैज्ञानिकों से चर्चा की।
कार्यक्रम में एडीआर बीज डॉ पीसी गुप्ता ने स्वागत भाषण देते हुए बताया कि 13 अप्रैल 2024 को प्रजनन बीज उत्पादक को लेकर कुलपति डॉ अरुण कुमार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में कुलपति ने प्रमाणित बीज उत्पादन को लेकर निर्देशित किया था।इसी क्रम में कृषि विश्वविद्यालय स्तर पर मोठ और मूंग के प्रमाणित बीज उत्पादन को लेकर प्रयास जारी हैं। डॉ गुप्ता ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत कृषि अनुसंधान केन्द्र श्रीगंगानगर और कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर झुंझुनूं में दलहन फसलों के प्रमाणित बीजों का उत्पादन किया जा रहा है। जल्द ही कृषि विश्वविद्यालय स्तर पर भी प्रमाणित बीजों का उत्पादन शुरू हो जाएगा।
कार्यक्रम में मानव संसाधन विकास निदेशालय निदेशक डॉ ए.के.शर्मा ने प्रमाणित बीजों के महत्व के बारे में बताया। अंत में बीज उत्पादन अधिकारी डॉ जे. के. तिवारी ने सभी का धन्यवाद प्रेषित किया। कार्यक्रम में कृषि अनुसंधान केंद्र, कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक और बीज उत्पादन केंद्रों के प्रभारी उपस्थित रहे।