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बीकानेर,जयपुर, राजस्थान के सबसे बड़े कल्चरल फेस्टिवल ‘मोमासर उत्सव’ में इस बार 50 प्रतिशत महिला कलाकार और दस्तकार अपनी प्रस्तुतियों और कलाओं से आयोजन को गुलज़ार कर रही हैं। राजस्थान में किसी कल्चरल फेस्टिवल में ऐसा पहली बार हो रहा है जबकि आयोजन के कलाकारों में आधी तादाद महिला कलाकारों की हो। उत्सव हमेशा से दुर्लभ लोक संगीत, कला और परम्पराओं को सहेजता आया है। उत्सव हमेशा से संवेदनशीलता का पर्याय रहा है। यह एक ऐसा दुर्लभ आयोजन है जिसमें ना उम्र की कोई सीमा है और ना ही शारीरिक चुनौतियों का कोई बंधन। यहाँ पुरुष, महिलाएं, युवा, बुज़ुर्ग, दृष्टिबाधित, विशेष योग्यजन हर तरह के कलाकार परफ़ोर्म करते आए हैं और उन्होंने अपनी कला से हज़ारों दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है।

बीकानेर के मोमासर में आयोजित होने वाले ‘मोमासर उत्सव’ के 11वें संस्करण में पहले दिन की शुरुआत भोमियाजी मंदिर में गीता पराग कबीर और साथियों के भक्ति संगीत से हुई। इसके बाद हवेली चौक में रामकुमार नाथ जोगी ने तीन लोक वाद्य पुंगी, बांसुरी और अलगोजा वादन की अपनी अद्भुत कला का प्रदर्शन किया। शांति देवी कालबेलिया और साथियों ने पुंगी पर कालबेलिया समुदाय के गीत पेश किए। बेगम बतूल ने भी शेखावाटी के पारंपरिक लोक गीतों से शेखावाटी की समृद्ध विरासत को यहां साकार कर दिया।

रात को द सैंड्स में आयोजित ‘म्यूजिक अंडर द स्टार्स’ में नानक नाथ जोगी ने जोगिया सारंगी पर भक्ति गीत पेश किए। साउथ अमेरिकी कलाकार निकोलस – कैरोलीना व ट्रंपेट कलाकार आमिर बियानी की संगीतमय प्रस्तुति ने दिखाया कि संगीत की कोई भाषा और सीमा नहीं होती है।  इसके बाद भुंगर खान पारंपरिक मांगणियार गीत और अम्बा लाल व साथियों के बॉलीवुड क्लासिक्स ने रात को द सैंड्स (कुनाल-कनिका फार्म) के खुले मैदान में समां बांध दिया।

यह उत्सव राजस्थान की संस्कृति, अद्भुत कला और दुर्लभ लोक संगीत को बरसों से सहेजता आ रहा है। यह राजस्थान का एकमात्र ऐसा आयोजन है जिसमें इतने बड़े स्तर पर समुदाय और आमजन की सहभागिता रहती है। गौरतलब है कि मोमासर उत्सव का आयोजन ‘जाजम फाउंडेशन’ द्वारा किया जाता है। इसके मुख्य प्रायोजक सुरवि चैरिटेबल ट्रस्ट और सह-प्रायोजक संचेती ग्रुप हैं। नागपाल इवेंट्स-जयपुर, विश-मेकर्स-दिल्ली, लोक-धुनी फाउंडेशन, डांसिंग पिकॉक और मर्करी कम्यूनिकेशन इस उत्सव के सहयोगी हैं।

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