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बीकानेर,प्रश्नन-पत्र लीक होने के बाद देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में अध्यापक पात्रता परीक्षा (यूपी टेट) रद्द कर दी गई। दो महीने पहले राजस्थान में रीट के नाम से हुई इसी परीक्षा का प्रश्न-पत्र भी लीक हो गया था। दोनों राज्यों में प्रश्न-पत्र लीक कराने के मामले में संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया है। ये सिर्फ दो राज्यों की कहानी नहीं है और न अध्यापक पात्रता परीक्षा तक ही सीमित मुद्दा है। प्रतियोगी परीक्षाएं मेडिकल में हों या इंजीनियरिंग अथवा अन्य अधिकारियों की भर्ती के लिए, प्रश्न-पत्र लीक होना सामान्य चलन-सा बनता जा रहा है। उत्तरप्रदेश में टेट परीक्षा अब फिर से एक महीने बाद कराए जाने की बात कही जा रही है। राजस्थान में प्रश्न-पत्र लीक होने के बावजूद परीक्षा को रद्द नहीं किया गया। सिर्फ चुनिंदा केंद्रों पर फिर से परीक्षा करा ली गई। बेरोजगारी के इस दौर में इस तरह परीक्षाओं के दौरान प्रश्न-पत्र लीक होने के लिए जिम्मेदार किसे माना जाए?सरकारों को,परीक्षाएं कराने वाले आयोगों को अथवा हमारी भर्ती परीक्षाओं के लिए बने सिस्टम को। जाहिर है इसके लिए इनमें से किसी एक को जिम्मेदार ठहराना गलत होगा। परीक्षाओं में लाखों रुपए लेकर प्रश्न-पत्र बेचे जाने की कहानी किसी से छिपी नहीं है। एक ओर, परीक्षाओं में प्रश्न-पत्र लीक कराना या फर्जी परीक्षार्थियों को बैठाना एक संगठित उद्योग का रूप ले चुका है। ऊपर से नीचे तक मिलीभगत के खेल में करोड़ों-अरबों के वारे-न्यारे होते हैं। तो दूसरी तरफ मेहनत करने वाले, गंभीर प्रयास करने वाले युवा बेरोजगारों के सब्र की बार-बार परीक्षा ली जाती है। कई बार तो सिर्फ निराशा ही उनके हाथ लगती है। मामले अदालतों में पहुंचते हैं, लेकिन समय रहते उन पर फैसले नहीं हो पाते। अनेक बार ये मुद्दा विधानसभाओं से लेकर संसद में भी गूंज चुका है। लेकिन राजनीतिक दल इस मुद्दे पर भी राजनीति चमकाने से ऊपर नहीं उठ पाते। सरकारें युवाओं को बेहतर भविष्य देने का सपना तो दिखाती हैं लेकिन इतने संवेदनशील मुद्दे पर गंभीरता नहीं दिखातीं। समय आ गया है कि केंद्र को इस मुद्दे पर पहल करनी चाहिए। सभी राज्य सरकारों के साथ विचार विमर्श कर ऐसी परीक्षा प्रणाली विकसित की जाए ताकि कोई भी परीक्षा क्यों न हो, प्रश्न-पत्र लीक होने और फर्जी परीक्षार्थी बैठाने की समस्या से निजात मिल सके। साथ ही प्रश्न पत्र लीक कराने अथवा नकल कराने के आरोप में पकड़े जाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, जिससे युवाओं की मेहनत पर पानी न फिर सके।

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