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बीकानेर,रांगड़ी चौक के बड़ा उपासरा में रविवार को श्रीपूज्यजी के सान्निध्य में यतिश्री अमृत सुन्दरजी, सुमति सुन्दरजी व यतिनि समकित प्रभाश्री ने रविवार को धर्म के मर्म की व्याख्या में सुधर्म की पालना करने का संदेश दिया। सुदेव, सुगुरु की प्रेरणा, सद्संस्कार से सुधर्म की पालना सरल है।
यतिश्री अमृत सुन्दरजी ने कहा कि छोटी-छोटी बातों, परेशानियों व कठिनाइयों को लेकर धर्म को नहीं छोड़ें। धर्म से अनंत सुख, वैभव की प्राप्ति संभव है। धर्म को जीवन में महत्व दे, उसके नियम व कायदों की पालना विकारों,कषायों,अहंकार, आसक्ति व परिग्रह का त्याग करते हुए करें। उन्होंने कहा कि धर्म गहरा तत्व है। धर्म हमें दुर्गति से बचाता है तथा सद्गति का मार्ग दिखाता है।
यतिश्री सुमति सुन्दरजी ने कहा कि नींद या अचेत अवस्था में श्रवण की गई धार्मिक बातें भी व्यक्ति के जीवन में लाभकारी रहती है। उन्होंने एक कहानी कि माध्यम से बताया सत्संग में नींद लेते हुए एक श्रावक ने ’’आईए, बैठिए व जाइये’’ तीन शब्द सुनकर रट लिए। इन तीनों शब्दों के उपयोग से वह चोरी के भय से मुक्त हो गया। यतिनि समकित प्रभाश्री ने कहा कि सत्य साधना का मार्ग सुधर्म का मार्ग है। गलत धारणाओं, विचारों व विकारों से दूर रहकर हमें सत्यधर्म की पालना करनी चाहिए।
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