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बीकानेर/ सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टिट्यूट के तत्वावधान में इटली मूल के राजस्थानी भाषा शोधार्थी डॉ. एल.पी.टैस्सिटोरी की 136वीं जयंती के अवसर पर टैस्सिटोरी-प्रतिमा पर पुष्पांजली एवं उनके व्यक्तित्व पर कार्यक्रम के अध्यक्ष एन. डी. रंगा
ने कहा कि बीकानेर म्युजियम परिसर स्थित टैस्सिटोरी स्थल पर उनका स्मरण इस अर्थ में महत्त्वपूर्ण है कि इससे युवाओं को जहां प्रेरणा और नई जानकारियां मिलती हैं वहीं हम सब अपनी भाषा, साहित्य और संस्कृति के गौरव को समझ कर इस दिशा में सक्रिय होते हैं। रंगा ने कहा कि राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में अविलम्ब शामिल करना चाहिए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कवि-समालोचक डॉ. नीरज दइया ने कहा कि आज के दिन हम यह प्रेरणा ग्रहण करें कि जब दूर देश का एक विद्वान व्यक्ति टैस्सिटोरी यहां रहकर इतनी गहना से अविस्मरणीय काम कर सकता है तो हम क्यों नहीं कर सकते हैं, राजस्थानी में अभी भी ऐसे अनेक शोधपरक कार्य किए जाने की आवश्यकता है।
विशिष्ठ अतिथि व्यंग्यकार-संपादक डॉ. अजय जोशी ने कहा कि टैस्सिटोरी का नाम आते ही हमारे सामने उनके अनेक कार्य आते हैं, उन्होंने अल्पायु में जितना बड़ा और श्रेष्ठ कार्य किया उससे प्रेरणा लेते हुए वर्तमान समय में उनके कार्यों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के संयोजक कवि राजाराम स्वर्णकार ने टैस्सिटोरी के कार्यों पर केंद्रित अपनी कविता का पाठ करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टिट्यूट द्बारा जल्द ही टैस्सिटोरी पर राजस्थानी भारती का अंक प्रकाशित किया जाना चाहिए जिससे उनके कार्यों की जानकारी में अब तक प्राप्त नई जानकारियों को जोड़ा जा सके।
कार्यक्रम में प्रेमनारायण व्यास, डॉ. फारुख चौहान, शमीम, ऋषिकुमार जोशी, पूर्णिमा मित्रा, शिव दाधीच, मोहनलाल जांगिड़ आदि ने भी टैस्सिटोरी-प्रतिमा पर पुष्पांजली करते हुए उनके व्यक्तित्व पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन जुगलकिशोर पुरोहित ने किया और शिक्षाविद-कवि चन्द्रशेखर जोशी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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