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बीकानेर एक अप्रैल से सभी सरकारी अस्पतालों में सभी तरह की जांचें और आउटडोर तथा इंडोर पर्चियां भी निशुल्क होने के कारण अस्पतालों की ओर से राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसाइटियों के खातों में पैसा जमा होना बंद हो गया है। ऐसे में तत्काल अगर कोई दवा अथवा मशीन ठीक करानी होगी, तो अस्पताल प्रशासन के सामने संकट खड़ा हो गया है।

पहले अगर कोई मशीन खराब होती या फिर स्थानीय पर दवा की खरीद करनी होती थी, तो सोसाइटी के खाते से राशि निकाली जाती थी। लेकिन अब सरकार को पूरे माह की रिपोर्ट भेजने के बाद राशि खाते में जमा होगी।

तब तक खराब मशीन ठीक नहीं हो पाएगी और दवाइयों के लिए भी इंतजार करना पड़ेगा। एक अनुमान के मुताबिक घोषणा के साथ ही प्रति माह डेढ़ करोड़ का नुकसान होने की आशंका है। इसमें से एक करोड़ रुपए तो पीबीएम अस्पताल की सोसायटी के खाते में आते थे।

संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल में प्रति माह पांच हजार मरीजों का आउटडोर होता है। लेकिन अब सभी तरह की जांचें निशुल्क होने के कारण यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है। लेकिन स्टाफ और संसाधनों में कोई इजाफा नहीं हो रहा है।

अस्पतालों में आउटडोर तथा इंडोर की पर्चियां भी अब निशुल्क करने के कारण सोसाइटी के खातों में यह राशि भी बंद हो गई है। पीबीएम अस्पताल में पर्चियों से ही प्रति माह दस लाख रुपए की आय होती थी। जबकि सेटेलाइट अस्पलाल में प्रति माह पांच लाख और डिस्पेंसरियों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रति माह आठ लाख रुपए की आय होती थी। लेकिन अब यह सब बंद हो गई है

सरकार ने मरीजों की सभी तरह की जांचे और दवाइयां तो निशुल्क कर दी है। लेकिन आदेश में यह स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है कि जिन अभ्यर्थियों का सरकारी सेवा में चयन होगा, उनकी जांचों का शुल्क वसूला जाएगा अथवा नहीं। क्योंकि सरकारी सेवा ज्वाइन करने के लिए मेडिकल प्रमाण पत्र आवश्यक होता है। इसे लेकर पीबीएम अस्पताल प्रशासन पेशोपेश में है।

अब सरकार ने घोषणा कर रखी है कि मेडिकल रिलीफ सोसाइटी के खातों में सिर्फ अस्पताल परिसर में संचालित हो रही कैंटीन और वाहन स्टैंड का किराया ही जमा हो सकेगा। लेकिन पीबीएम और सेटेलाइट अस्पताल के अलावा कहीं पर ही वाहन स्टैंड तथा कैंटीन की सुविधा नहीं है।

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