बीकानेर में इन दिनो एक अनूठा प्रशिक्षण शिविर चल रहा है। पाण्डुलिपियों के संरक्षण व संवर्धन का। प्राचीन विरासत को सहेजने, युवाओं को उससे रूबरू करवाने और लिपियों की सही पहचान करवाने का काम शिविर में करवाया जा रहा है।
राजस्थान संस्कृत अकादमी एवं विश्व हेरिटेज एंड पांडुलिपि शोध संस्थान के तत्वावधान में युवाओं को प्राचीन संस्कृति से जोड़ने के लिए पांच दिवसीय पांडुलिपि प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला के माध्यम से प्रदेश व अन्य प्रदेशों से आए युवा पांडुलिपि के सरंक्षण की विधाओं से संबंधित ज्ञान का अर्जन कर रहे हैं। ताकि आने वाली पीढ़ी को इस प्राचीन संस्कृति से रूबरू करवाया जा सके। इसमें लिपियों का ज्ञान, पाण्डुलिपियों का संरक्षण, इन लिपियों को पढ़कर पुरातन इतिहास को जानने और समझने में सहायता करने की जानकारियां दी जा रही हैं। राजस्थान संसकृत अकादमी ने सर्वे कर लगभग डेढ़ लाख पाण्डुलिपियां पाई। अब इन पाण्डुलिपियों को संरक्षित करने का काम शुरु होगा। समन्वयक डा सुरेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि बीकानेर के अलावा जयपुर, जोधपुर और कोटा में भी पाण्डुलिपियों के संरक्षण का कार्य आरंभ किया जाएगा। संरक्षण के इस कार्य से युवाओं को रोजगार कैसे मिल सके, इस विषय पर काम चल रहा है। इस शिविर में राजस्थान के कोटा, नागौर ,जोधपुर, जयपुर, बीकानेर के साथ-साथ जम्मू कश्मीर से भी विद्यार्थी पहुंचे हैं।