बीकानेर,गंगाशहर,पर्युषण महापर्व के प्रथम दिन तेरापंथ भवन, गंगाशहर में मुनि श्री शांतिकुमार जी एवं मुनि श्री जितेंद्र कुमार जी के सान्निध्य में खाद्य संयम दिवस मनाया गया। पर्युषण के शुभारंभ के सुअवसर पर आज श्रावक–श्राविका समाज में विशेष उत्साह दिखाई दे रहा था। किसी ने उपवास तो किसी ने एकासन के तप द्वारा पर्युषण पर्व के प्रथम दिन अपनी तप में सहभागिता दिखाई। भवन में प्रातः से ही सामायिक, संत दर्शन एवं जाप हेतु श्रावक समाज पहुंच रहा था।
धर्मसभा में मुनि शांतिकुमार जी ने कहा की पर्युषण त्याग का पर्व है। संयम का पर्व है। यह महान पर्व हमें भोगों से विरत रहने के लिए प्रेरित करता है। पर्युषण काल में जितना संभव हो सके श्रावक समाज को धर्म आराधना करनी चाहिए।
मुख्य वक्तव्य देते हुए मुनि जितेंद्र कुमार जी ने कहा की आज से इस पर्व का शुभारंभ हो रहा है। प्रथम दिन खाद्य संयम की प्रेरणा देता है। हम जैसा भोजन करते है वैसा ही हमारे भीतर भाव प्रकट होते है। साधना के लिए यह जरूरी है की हमारी भोजन के प्रति संयम की चेतना जागे। यह जीभ रसलोलुप होती है। जैन समाज में विशेष रूप से इस ओर ध्यान देना चाहिए की हमारे खाद्य पदार्थों में किंचित मात्र भी मांसाहार का प्रयोग ना हो। मांसाहार हमारी चेतना को विकृत करता है। जैसा खाए अन्न वैसा होवे मन यह पुरानी पर सही कहावत है। हम अपनी रसना को नियंत्रण में रखते हुए साधना के पथ पर आगे बढ़े।
मुनिश्री ने भगवान ऋषभ के समय योगलिक काल की चर्चा करते हुए 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर के पूर्व भव का भी विवेचन किया।
इस अवसर पर मुनि सुधांशु कुमार जी ने तपस्या की प्रेरणा दी। मुनि अनुशासन कुमार जी ने खाद्य संयम के साथ विवेक चेतना को आवश्यक बताया। मुनि अनेकांत कुमार जी ने गीत का संगान करते हुए क्षमा धर्म के बारे में अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में संगायक श्री यश बैद ने ‘पर्युषण मनभाया है..’ गीत की सुमधुर प्रस्तुति दी।