









बीकानेर। जिले में डेंगू से हालात बेकाबू हो रहे हैं। जिले में सीएमएचओ के समकक्ष तीन विशेष अधिकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को संभालने के लिए तैनात है, बावजूद (डेंगू मच्छर) को काबू नहीं कर पा रहे हैं। डेंगू शहर से गांव तक फैला है। डेंगू के अब तक ३२५ को घायल और तीन की जान ले चुका हैं। अब भी डेंगू थम नहीं रहा। बच्चे, युवा, बुजुर्ग व महिलाएं सभी डेंगू के डंक से घायल है।
पहले कोरोना अब डेंगू
पिछले दो साल से प्रदेश क्या जिले की हालत खराब है। जिले में कोरोना ने कहर बरपाया। कई जिंदगियां समय से पहले खामोश हो गई। कइयों को इतने गहरे जख्म मिले जो जीवनभर नहीं भर पाएंगे। अब वहीं तांडव डेंगू मचाने को उतावला है। डेंगू के कारण एकबार फिर जिलेभर में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराने लगी है। वार्ड फुल, बेड खाली नहीं। फर्श पर बिस्तर पर लेटेे मरीज। कोरोना में लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर, रेमडेसिविर इंजेक्शन और वेंटीलेटर के लिए भागमभाग करते देखा वहीं अब ब्लड, बैड, आरडीपी, एसडीपी के लिए विनत करते देखा जा सकता है।
दावों की खुलती पोल
स्वास्थ्य विभाग की ओर से दावा किया जा रहा है कि वह प्रतिदिन घरों में एंटीलार्वा गतिविधियां संचालिक कर रहा है। स्वास्थ्य टीमें लगी है। हकीकत यह है कि स्वास्थ्य विभाग हालात बिगडऩे पर दौडऩे लगा है। अगस्त में नत्थूसर बास में एक ही घर में छह लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई। विभाग को सूचित किया। तब विभागीय अधिकारी वहां जाकर खानापूर्ति कर लौट आए। स्वास्थ्य सूत्रों के मुताबिक अगर तब स्वास्थ्य विभाग चेत जाता तो आज हालात इतने खराब नहीं होते।
कोविड नियंत्रण के लिए डॉ. मीणा
पूर्व सीएमएचओ डॉ. बीएल मीणा का बीकानेर से तबादला हो गया। उन्होंने न्यायालय की शरण ले ली। जिले कोविड बेकाबू हुआ तब सरकार ने डॉ. मीणा को बीकानेर में प्रतिनियुक्ति पर बीकानेर भेजा और उन्हें कोविड नियत्रण की जिम्मेदारी सौंपी। अब जिले में कोविड न के बराबर है। ऐसे में इनका उपयोग डेंगू को कंट्रोल करने में लिया जा सकता है।
कोर्ट के आदेश से वापस आ धमके
पूर्व सीएमएचओ डॉ. सुकुमार कश्यप को भी कोविड की स्थितियां बिगडऩे पर कार्य व्यवस्था के तहत जयपुर में तैनात किया। सरकार के अचानक किए गए बदलाव वे नाखुश हुए। उन्होंने इसका विरोध किया। सरकार के फैसले के खिलाफ न्यायालय में चले गए। वह न्यायालय से स्टे लेकर वापस बीकानेर आा गए। उनके आने का आमजन को कोई फायदा नहीं मिल रहा क्योंकि स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने में उनका कोई सहयोग नहीं लिया जा रहा।
अलग-थलग है डॉ. चाहर
वर्तमान में जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर डॉ. ओपी चाहर है, जिनके पास कार्यवाहक जिम्मेदारी है। वे विभाग में अलग-अलग पड़े हैं। सूत्रों की माने तो स्थायी अधिकारी को काम कराने में पसीने छूट जाते हैं तो फिर अस्थायी से बेहतर काम करने की उम्मीद ही बेमानी है। इसका परिणाम भी सामने है। दो महीने तक बीकानेर में डेंगू के महज १६ मरीज थे जो आज ३०० को पार कर गए हैं।
इनका कहना है…
डेंगू को जल्द काबू कर लेंगे। आमजन, सरकारी कर्मचारी, पुलिस, चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ समेत हरेक वर्ग डेंगू का खात्मा करने में जुट गया है। आगामी १५ दिनों में परिणाम अलग ही देखने को मिलेंगे। रही जिले में तीन अधिकारियों के तैनाती की तो डॉ. चाहर सीएमएचओ हैं। डॉ. बीएल मीणा व डॉ. सुकुमार कश्यप को सरकार ने यहां भेज रखा है। कोविड की तरह डेंगू को कंट्रोल करने में इनकी क्षमताओं का उपयोग करेंगे।
नमित मेहता, जिला कलक्टर
