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बीकानेर, रांगड़ी चौक के बड़ा उपासरा में बुधवार को यतिश्री अमृत सुन्दरजी ने कहा कि आंतरिक व बाह्य समस्याओं का अपने विवेक, बुद्धि, कौशल, शक्ति व सामर्थ्य के अनुसार डटकर मुकाबला करें। परेशानी व समस्याओं से घबराएं नहीं। दिन के बाद रात आती है व फिर सवेरा। इसी तरह जीवन में सुख-दुख, परेशानी समस्याएं आती रहती है, सुदेव, सुगुरु व सुधर्म का आश्रय लेकर समता भाव, धैर्य व श्रम से उनको दूर करने का प्रयास व पुरुषार्थ करें।
उन्होंने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के एक जीवन प्रसंग को सुनाते हुए कहा कि सभी के जीवन में वक्त-परिस्थिति के अनुसार सांसारिक व आंतरिक परेशानियां आने-जाने की प्रक्रिया होती रहती है। परेशानियों से जितना डरेंगे, घबराएंगे उतनी वे हमारे पर हावी होगी। गलत विचार,कषाय काम,क्रोध,लोभ व मोह आदि के उदय होने पर उन पर अपनी शक्ति के अनुसार प्रयास करें। सुख व शांति मय जीवन के लिए हर परिस्थिति को समता के साथ स्वीकार करें।
उन्होंने कहा कि मानव जीवन के चक्र में रोग, दोष, शोक, जवानी, बुढ़ापा व अच्छी-बुरी परस्थिति और मृत्यु आती है। हर परिस्थिति में समता, क्षम्यता व श्रम को सर्वोपरि रखते हुए आत्म-परमात्म तत्व का सबंल प्राप्त कर उनका सामना करें। संसार रूपी शरीर के मध्य में स्थित आत्म का अवलोकन करें । समता यानि अपनी आत्मा में स्थित रखने के लिए श्रम यानि मेहनत और सत्य साधना करें। यतिश्री सुमति सुन्दरजी ने कहा कि शारीरिक,मानसिक व वाचिक हिंसा से बचे तथा सत्य साधना को अपनाएं। प्राणीमात्र प्रति अहिंसा, करुणा, दया और मंगल भावना रखें। यतिनिश्री समकित प्रभा ने कबीर दासजी के दोहे ’’ ’’सात कुधात चर्म लपेटी सोहे’’ सुनाते हुए कहा कि नश्वर चमड़ी से ढकी हाड़ मांस ’काया में अशुचि यानि गंदगी भरी हुई है। सुन्दर मानव देह को देखकर राग-द्वेष, मोह, अभिमान व अहंकार नहीं करें। मानव देह को आत्म परमात्म तत्व की प्राप्ति में लगाएं।

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