
बीकानेर,श्रीमद् भागवत कथा एवं भविष्य मालिका के पंचम दिवस का शुभारंभ आज परम पूज्य डॉ. पंडित काशीनाथ मिश्र महाराज के मंगलाचरण से हुआ। प्रारंभ में आचार्य ने तुलसीदास की परीक्षा लेते हुए जगन्नाथ प्रभु का मनोहर प्रसंग सुनाया और श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
आगे व्रजराजसुताष्टकम् के मधुर गायन के बीच उन्होंने ब्रज की रासलीला और महाप्रभु जगन्नाथ जी के अनंत एवं अद्भुत रूपों का वर्णन किया। पंडित जी ने बताया कि हर युग में महाप्रभु अवतार लेकर धर्म की स्थापना करते हैं और उसी का उल्लेख ग्रंथों में पूर्व से ही कर दिया जाता है। जिस प्रकार कृष्ण जन्म से पूर्व धरती पर अत्याचार, भूकंप और जलप्रलय से त्राहि-त्राहि मची थी, उसी प्रकार आज भी युगांत के संकेत स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हर युग में महाप्रभु के अवतरण से पहले सुधर्मा संघ का गठन होता है। आज का सुधर्मा महा महा संघ विश्व सनातन धर्म ही सम्पूर्ण विश्व में सनातन का ध्वज फहराएगा। यह पंचरंगी ध्वजा स्वयं भगवान विष्णु की ध्वजा है, जिसे भक्तजन कंधे पर धारण करते हैं।
आचार्य ने भावुक स्वर में कहा – जैसे स्वयं ब्रह्मा जी भी कृष्ण को पहचान न सके थे, वैसे ही जो भक्त नहीं होंगे वे कल्कि महाप्रभु को पहचान नहीं पाएंगे और भविष्य मालिका का अनुसरण नहीं करेंगे। किंतु जिनके हृदय में भक्ति है, उनके कानों में जब भविष्य मालिका की अमृत वाणी पहुँचेगी, वे तुरंत सत्य को समझ जाएंगे।
इसके उपरांत पंडित जी ने श्रीकृष्ण जन्म कथा का रसपूर्ण वर्णन किया। बाल कृष्ण का भव्य स्वागत करते हुए पूरा वातावरण नंदघर आनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की के उल्लास से गूंज उठा। मंच पर खाटूश्याम जी, करणी माता, कपिल मुनि एवं माता देवहुती, राधा-कृष्ण और बाल हनुमान जैसे ललित स्वरूपों में छोटे-छोटे गोपालों ने दिव्य झांकी प्रस्तुत की।
भक्तों की आंखें नम, मन आनंदित और वातावरण हरि-नाम से गुंजायमान हो उठा। कृष्ण जन्मोत्सव का यह मनोहर आयोजन श्रद्धा, भक्ति और उल्लास का अद्वितीय संगम बन गया।
कार्यक्रम का समापन जगन्नाथ महाप्रभु की भव्य आरती और भक्तिरस में डूबे भजनों के साथ हुआ।