जैसलमेर। प्रधानमंत्री की ओर से गुरु नानक जयंती पर तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा किए जाने से उत्साहित कांग्रेस ने इसे घमंडी और तानाशाह सरकार पर देश के अन्नदाताओं की जीत बताते हुए कहा कि गत उपचुनावों में हार और आगामी समय में पांच राजयों में विधानसभा चुनावों में आसन्न पराजय को देखते हुए केंद्र सरकार काले कानूनों को लौटाने पर मजबूर हुई है। इस संबंध में शनिवार को जिला कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष गोविंद भार्गव, नगरपरिषद के सभापति हरिवल्लभ कल्ला और पूर्व यूआइटी अध्यक्ष उ मेदसिंह तंवर ने प्रदेश कांग्रेस के निर्देशानुसार पत्रकार वार्ता की। गोविंद भार्गव ने कहा कि किसान पिछले एक साल से दिल्ली बॉर्डर पर धैर्यपूर्वक जमे हुए थे। यह उनकी विजय है। कांग्रेस ने हमेशा किसानों का साथ दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा अपने आंतरिक सर्वे में भी हार रही है।
विनाशकारी था यह बदलाव
सभापति कल्ला ने कहा कि सारे बदलाव सुधार नहीं लाते। कृषि कानूनों के जरिए केंद्र सरकार जो बदलाव करने जा रही थी, वह विनाशकारी थे। किसानों ने सरकार की दमनकारी नीतियों का माकूल जवाब दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री के इस बयान को भी निरर्थक बताया कि कृषि कानून किसानों के हित में थे। पार्टी नेता तंवर ने कहा कि मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानून जबर्दस्ती देश पर थोपने का प्रयास किया। किसानों ने गांधीवादी तरीके से अहिंसात्मक आंदोलन चलाया। जिसके आगे मोदी सरकार को आखिरकार झुकना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि इस आंदोलन में करीब सात सौ किसानों ने प्राणों का बलिदान किया है। ये कानून किसानों व खेत मजदूरों आदि के लिए कतई हितकारी नहीं थे। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों राजस्थान सहित अन्य राज्यों में हुए उपचुनावों में पराजय से भाजपा नेतृत्व हिल गया है। आगामी चुनावों में भी वह पराजित होती नजर आ रही है।