बीकानेर/हनुमानगढ़, 12 नवंबर। जल संसाधन उत्तर के मुख्य अभियंता अमरजीत सिंह मेहरड़ा ने इन्दिरा गांधी नहर परियोजना के सिंचित क्षेत्र के काश्तकारों से अपील की है कि वे कम पानी से उगाई जाने वाली फसलों यथा सरसों, चना इत्यादि की ही करें। मेहरड़ा ने बताया कि पश्चिमी राजस्थान के दस जिलों की पेयजल एवं सिंचाई व्यवस्था 1981 के अंतर्राजीय जल समझौते के तहत रावी-व्यास एवं सतलुज नदियों पर स्थित क्रमशः रंजीतसागर ,पोंग एवं भाखड़ा बांधो में उपलब्ध जल के अनुपातिक प्राप्त जल से की जाती है। इस वर्ष इन नदियों के कैचमेंट में कम बारिश के कारण डिप्लेशन अवधि की आरम्भ तिथि दिनांक 21 सिंतबर को बांधों के जलस्तर का गत 40 वर्षो के औसत स्तर से विश्लेषण करने पर पोंग बांध में 21.87 फीट, रंजीत सागर बांध में 7.53 फीट तथा भाखड़ा बांध में 23.02 फीट कम जल की आवक हुई है।
मेहरड़ा ने बताया कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना के प्रथम एवं द्वितीय चरण को रावी व्यास नदियों में उपलब्ध जल के अनुसार वितरण किया जाता है। इस वर्ष डिप्लेशन अवधि हेतु कुल 9.39 लाख क्यू. डेज पानी आवंटित हुआ, जिसके अनुरूप परियोजना के दोनों चरणों में वितरण हेतु चार में से एक समूह में तीन बारियो हेतु सिंचाई जल वितरण व्यवस्था सुनिश्चित की गयी थी। तदोपरांत बांधों के कैचमेंट एरिया में पानी की आवक में कुछ सुधार होने किन्तु काश्तकारों की मांग के मध्य नजर एवं 6 अक्टूबर को घड़साना में कृषक संगठनों से हुई वार्ता अनुरूप नहरों को 4 में से 1 की प्रथम बारी के उपरांत 27 अक्टूबर 2021 से 12 जनवरी 2022 तक तीन बारी पानी तीन में से एक समूह में नहरें चला कर दिया जाना निर्धारित हुआ। उसी के अनुसार नहर संचालन कार्यक्रम सिंचित क्षेत्र विकास आयुक्त से अनुमोदन उपरांत लागू किया जाकर नहरें चलाई जा रही है।
मेहरड़ा ने बताया कि जनवरी माह में बांधों में जल की उपलब्ता का पुनः आकलन कर दिनांक 12 जनवरी 2022 के पश्चात पांचवी बारी दिए जाने के सम्बन्ध में निर्णय लिया जाएगा। चूंकि बांधों में जल की उपलब्धता अन्य वर्षो की तुलना में कम है लिहाजा इन्दिरा गांधी नहर परियोजना के सिंचित क्षेत्र के काश्तकारों से अपील की जाती है कि वे कम पानी से उगाई जाने वाली फसलों यथा सरसो, चना इत्यादि की ही बुआई करें ।