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बीकानेर,गंगाशहर,श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा गंगाशहर के तत्वावधान में विद्यार्थियों के जीवन निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुभ शुरूआत तेरापंथ युवक परिषद् गंगाशहर ने विजय गीत से की। स्वागत वक्तत्वय तेरापंथी सभा गंगाशहर के निवर्तमान अध्यक्ष अमरचन्द सोनी ने देते हुए कहा की आज के कार्यक्रम की सान्निध्य प्रदान कर्त्ता साध्वी चरितार्थ प्रभा व प्रांजल प्रभा जी साध्वी दीक्षा से पूर्व समणी काल में दुनियां के अनेक देशों में भारतीय व जैन संस्कृति के बारे में प्रवचन दिए और बड़े बड़े विश्वविधालयों में पढ़ाया ।

विषय प्रवर्तन करते हुए तेरांपथी महासभा के संरक्षक और आयोजन प्रभारी जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि तेरापंथी सभा गंगाशहर ने यह कार्यक्रम इसलिए आयोजित किया है की विद्यार्थियों का भविष्य उज्जवल बने। हर नया दिन हमें एक नई शुरुआत करने का अवसर देता है। जब हम भविष्य की बात करते हैं, तो हमारे सामने कई चुनौतियां और संभावनाएं होती हैं। परंतु, यह हमें तय करना होता है कि हम इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं और इन संभावनाओं को कैसे साकार करते हैं।

छाजेड़ ने कहा कि हमारा वर्तमान हमारे भविष्य का आधार है। अगर हम आज सही दिशा में कदम बढ़ाते हैं, तो हमारा भविष्य निश्चित रूप से उज्ज्वल होगा। अगर हम सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते हैं, तो कठिनाइयाँ भी सरल हो जाती हैं। इतिहास गवाह है कि जिन लोगों ने कभी हार नहीं मानी, वे अंततः अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हमारा भविष्य हमारे आज के प्रयासों पर निर्भर करता है। हमें अपने वर्तमान को सुदृढ़ बनाना होगा ताकि हमारा भविष्य उज्ज्वल और समृद्ध हो। अपना दृष्टिकोण सकारात्मक रखें व सोच को अनेकांतवादी रखें।हम सभी के पास अपने भविष्य को बेहतर बनाने का अवसर है, बस हमें उसे पहचानने और सही दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत है।व हर व्यक्ति के दिल से आपका नाम आए। इसके साथ-साथ यह भी बताया कि लेना आसान है देना बहुत मुश्किल है। हर विधार्थी अपनी तरफ से देना सीखें। उन्होंने तीन सूत्र दिए कि थॉट & सी डिफ्रेंट्ली,स्पीक डिफ्रेंट्ली , एक्ट डिफ्रेंट्ली तब आपका भविष्य सुनहरा बनेगा।उन्होंने नजरिया सकारात्मक रखने पर बल देते हुए  महान  चितंकों के उदाहरण देते हुए शतरंज के खेल में प्यादे के महत्व को बताया।

कार्यक्रम में साध्वीश्री चरितार्थ प्रभा जी ने बच्चों के प्रश्नो का उत्तर भी देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया।

एक बच्चे ने जिज्ञास की कि पढ़ने में मन नहीं लगता तो क्या कर सकते हैं साध्वी श्री ने समझाते हुए कहा कि एक समय में एक ही काम करें एकाग्रता सिद्ध करें तो मन  लगेगा ।

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