Trending Now












बीकानेर, आसानियों के चौक के भगवान महावीर स्वामी, भगवान शांतिनाथ व पार्श्वनाथ के प्राचीन जिनालय में सोमवार को साध्वीश्री पद्म प्रभा व सुव्रताश्री के सान्निध्य में 18 अभिषेक, अष्ट प्रकार की पूजा, भक्ति संगीत के साथ प्रमुख जैन तीर्थ शत्रुंज्य तीर्थ के संगमरमर के पट्ट की स्थापना की गई।
मार्बल की खुदाई के स्वर्ण व विभिन्न रंगों से सजे सवा पांच फीट गुणा साढ़े सात गुणा, सवा पांच फीट के शत्रुंज्य महातीर्थ के पट््ट के स्थापना का लाभ सुश्रावक फतेह चंद-भंवर लाल बांठिया परिवार के कोलकाता प्रवासी बीकानेर निवासी राजेन्द्र, अशोक व मनोज बांठिया ने लिया। विभिन्न तरह की औषधि युक्त जल यथा स्वर्णचूर्ण,पंच रत्न चूर्ण, कषायचूर्ण, शत मूलिका, मंगल मृतिका, वर्ग चूर्ण, गंध, पुष्प, केशर, चंदन, धूप तथा 18 तीर्थों के जल का अभिषेक किया गया। जैनागम के अनुसार मंत्रों का उच्चारण साध्वीश्री सुव्रताश्रीजी, विधिकारक सुश्रावक सौरभ राखेचा ने किया। पार्श्व महिला मंडल, अशोक बांठिया व वीरेन्द्र बांठिया ने भक्ति गीत प्रस्तुत किए। पट््ट स्थापना करने वालों, विधिकारक और पार्श्व महिला मंडल का अभिनंदन श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक पार्श्वचन्द्र गच्छ ट्रस्ट मंडल के अध्यक्ष रवीन्द्र रामपुरिया, सचिव प्रताप कुमार रामपुरिया सहित विभिन्न पदाधिकारियों व सदस्यों ने किया।
साध्वीश्री सुव्रताश्रीजी प्रवचन में बताया कि शत्रुंजय तीर्थ जैन धर्म के शिरोमणि तीर्थस्थानों में एक है। सुख,शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए इस तीर्थ यात्रा जाना महत्वपूर्ण है। शत्रुंजय तीर्थ में अनंत तीर्थंकरों के समय से मुख्य एवं शाश्वत तीर्थ रहा है, जहां असंख्य तीर्थकरों, योगी मुनियों ने तपस्या कर मोक्ष प्राप्त किया। शत्रुंज्य तीर्थ में तमाम महान तीर्थंकरों ने अपने मन में क्रोध, ईर्ष्या, मोह, लोभ,द्धेष सहित अनेक विकार रूपी शत्रुओं पर जीत हासिल की, इसलिए इसे शत्रुंजय तीर्थ कहा जाता है। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव का विहार 11 बार हुआ था, ऐसा कहा जाता है कि इस तीर्थ का एक-एक कण तीर्थंकर ऋषभदेव के चरण स्पर्श से पवित्र हुआ है।
उन्होंने बताया कि गुजरात के भावनगर जिले के पालीताणा शहर की चोटियों में स्थित, शत्रुंजय तीर्थ दो हजार फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है। इस महातीर्थ के शिखर पर 863 से भी अधिक शिखर बंद जिनालय और करीब 7 हजार मंदिर और 17 हजार से अधिक भगवान की प्रतिमाएं शोभायमान है। तलहटी से भगवान आदिनाथ के जिनालय के रास्ते में 3 हजार 750 सीढ़ियां है, इस रास्ते में भक्तों के लिए जगह-जगह पर विश्राम गृह बने हुए है। विश्राम घर के सामने जैन तीर्थकर नेमिनाथ भगवान के गणधर आदि की चरण पादुकाएं स्थापित है। जो श्रावक-श्राविकाएं शारीरिक व आर्थिक कारणों से तीर्थयात्रा नहीं कर सकते वे मंदिर में पट््ट के दर्शन कर भाव यात्रा का पुण्य कमा सकते है।

Author