बीकानेर,भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र में सीईटीपी (कॉमन इंफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) लगाने में देरी को लेकर एनजीटी ने रीको को जिम्मेदार ठहराते हुए सात करोड़ का जुर्माना लगाया है। ऐसा ही एक केस बालोतरा में हुआ है। बीकानेर में भी हालात ऐसे ही हैं। सीईटीपी नहीं बनाने पर पर्यावरण विभाग ने रीको को नोटिस जारी कर दिया है। इंडस्ट्रीज से निकलने वाले पानी की निकासी नहीं होने से करणी औद्योगिक क्षेत्र के 551 उद्योगों में प्रोडक्शन बंद होने का संकट मंडराने लगा है।रीको के करणी औद्योगिक क्षेत्र की 551 औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला पानी करणी विस्तार में जाकर इकट्ठा होता है।
हाल ही में कराए गए ड्रोन सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार गंदा पानी एक लाख 46 हजार वर्ग मीटर में फैल चुका है, जबकि पिछले साल एक लाख 20 हजार वर्ग मीटर में था, जो इस साल 26 हजार वर्ग मीटर बढ़ गया। यानी करीब 58 बीघा में फैल गया है। दो बड़ी फूड इंडस्ट्री से अब दूरी 100-140 मीटर ही रह गई है। इस पानी का निस्तारण करने के लिए रीको को सीईटीपी लगाना था।
इसके लिए 26 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था फिर भी प्लांट नहीं लगा। करोड़ो रुपए निवेश कर चुके उद्योगपति चिंतित हैं। पानी जमा रहने से ड्रेनेज सिस्टम जाम हो चुका है। फैक्ट्रियां ज्यादा समय तक नहीं चल पाएंगी। यदि मामला एनजीट तक पहुंचा तो रीको पर गाज गिरनी तय है। प्लांट की लागत से भी ज्यादा जुर्माना लग सकता है। उद्योगपतियों ने संभागीय आयुक्त नीरज के पवन के समक्षअपनी पीड़ा रखी तो उन्होंने समस्या का समाधान करने के लिए रीको एमडी को पत्र लिखा है।
उद्यमियों का दर्द… मांगने पर अनुमति नहीं दी, आवंटन ही निरस्त कर दिया
करणी विस्तार के उद्यमियों को गंदे पानी के साथ-साथ भूखंड निरस्त होने की भी पीड़ा है। आबंटन के तीन साल में निर्माण कार्य नहीं कराने पर रीको ने पांच उद्यमियों के आबंटन निरस्त कर दिए हैं। नगद नारायण एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर नारायणदास तुलसानी ने बताया कि 2012 में भूखंड मिला था। अगले साल निर्माण की परमिशन मांगी तो रीको ने ईसी नहीं होने के कारण परमिशन देने से मना कर दिया। रीको ने 2014 में ईसी के लिए पर्यावरण विभाग को आवेदन किया। लेकिन निर्माण स्वीकृति फिर भी जारी नहीं की। तुलसानी ने हाई कोर्ट की शरण लेने के साथ ही राज्य स्तरीय पर्यावरण समाधात प्राधिकरण को पत्र लिखकर ईसी निरस्त करने की मांग की है।
रोजाना 15 लाख लीटर पानी फैक्ट्रियों से निकलता है
करणी औद्योगिक क्षेत्र में 551 औद्योगिक इकाइयां और आवासीय परिसर हैं। इनमें 35 इकाइयां रेड और ऑरेंज श्रेणी हैं, जिनमें फैक्ट्री मालिकों ने सीपीटी लगा रखे हैं। बाकी सभी ग्रीन श्रेणी की हैं। सभी से राजाना करीब 15 लाख लीटर पानी निकलता है। जो ड्रेनेज से होकर करणी विस्तार में जाकर इकट्ठा हो रहा है। पानी की निकासी के लिए रीको ने 2012 में करणी विस्तार में गड्ढ़े खोदे थे, जबकि वहां सीटीईपी का प्रावधान किया गया था। अब वहां बड़ा तालाब बन चुका है। इसका नुकसान आस-पास की फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज को भी हो रहा है।
पर्यावरण स्वीकृति के बिना ही बेच डाले भूखंड
करणी विस्तार परियोजना को लेकर रीको की बड़ी लापरवाहियां सामने आई हैं। रीको ने पर्यावरण स्वीकृति के बिना ही सात भूखंड बेच डाले। जो पर्यावरण विभाग के 2010 में जारी आदेश की अवहेलना में आता है। रीको को पर्यावरण स्वीकृति 2017 में मिली थी। परियोजना की लागत 114 करोड़ 44 लाख 32 हजार रुपए आंकी गई थी, जबकि रीको अब तक केवल 25 करोड़ ही खर्च कर पाया है। उधर करणी विस्तार में कुल 157 भूखंड में 145 बेच कर रीको ने 150 करोड़ कमाए हैं। फैक्ट्री बीकाजी और नोखा एग्रो की ही चालू हो पाई हैं। यदि और फैक्ट्रियां शुरू होंगी तो लोगों को रोजगार मिलेगा, लेकिन उद्यमी गंदे पानी की निकासी नहीं होने के कारण निवेश का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं।सीईटीपी के विकास में एसपीवी की सहायता के लिए परियोजना को 50% तक निधि देने के लिए राज्य सरकार की योजना है। एसपीवी को उद्योग विभाग में आवेदन करना होगा। – अर्चना सिंह, एमडी, रीको
सीईटीपी का निर्माण कराने के लिए 26 करोड़ रुपए का प्रावधान 2015 में किया गया था। बजट के लिए प्रबंधन को लिखा जा चुका है। पर्यावरण विभाग के नोटिस का भी जवाब दे दिया है। – पीके गुप्ता, रीजनल मैनेजर, रीको
रिको का रवैया गैर जिम्मेदाराना है। उद्यमी परेशान है। ड्रेनेज सिस्टम जाम पड़ा है। ज्यादा दिन ऐसे ही हालात रहे तो फैक्ट्रियां बंद करने की नौबत आ जाएगी। – महेश कोठारी, अध्यक्ष, करणी इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन
सीईटीपी की मश्क्कत
इंडस्ट्रीयल वाटर की समस्या से निजात पाने रीको ने 2012 में सूरत की एक कंपनी से फिजिबिलिटी रिपोर्ट और डीपीआर बनाई, लेकिन एसपीसी को फंड नहीं दिया।
2009 में जब क्षेत्र का पानी सड़क पर आया तो करणी विस्तार के भूखंडों की डिफरेंस राशि सीईटीपी के लिए रिजर्व रखी गई।
मई 2015 में प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने औद्योगिक इकाइयों का पानी जमा होने पर कड़ी आपत्ति जताई।
मई 2015 में रीको ने भी एक अंडरटेकिंग देते हुए पर्यावरण के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराया।
सितंबर 2016 में रीको ने पर्यावरण विभाग को ईसी के लिए अंडरटेकिंग दी थी कि यदि इसका पालन नहीं हुआ तो ईसी खारिज कर दी जाए।
दिसंबर 2016 में रीको ने पर्यावरण विभाग को लिखा था कि सीईटीपी के लिए सात एकड़ जमीन और 26 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।
जनवरी 2017 में रीको ने पर्यावरण क्लियरेंस में स्पष्ट लिखा था कि करणी विस्तार को जीरो डिस्चार्ज पर बसाया जाएगा।
जुलाई 2021 में राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने रीको के एमडी को कड़ा पत्र लिख कर सीईटीपी लगाने के कमिटमेंट को पूरा करने के निर्देश दिए।
दिसंबर 2021 में सीईटीपी की स्थापना के लिए पर्यावरण विभाग ने रीको को अर्धशासकीय पत्र जारी किया।