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बीकानेर,शिवबाड़ी के भगवान गंगेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर का जीर्णोंद्धार व नवीनीकरण कर रविवार को जैन विधि,मंत्रोच्चारण व भक्ति संगीत के साथ तीन जिन प्रतिमाओं को गृभगृह में प्रवेश करवाया गया। बीकानेर में सफेद संगमरमर का यह एक मात्र शिखरबंध भव्य मंदिर सड़क से 45 फीट ऊंचा है।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के तत्वावधान में श्री पार्श्वनाथ जिन मंदिर जीर्णोद्धार ट्रस्ट की ओर से आयोजित समारोह में सिरोही के विधिकारक मनोजकुमार हरण के नेतृत्व में स्नात्र पूजा, सह पाटला पूजन, प्रभुजी का भव्य सामैया, गृभगृह शक्रस्तव महाअभिषेक, 18 महाभिषेक का आयोजन हुआ। विधिकारक नागदा के गौरव जैन, संगीतकार घाणेराव,महाराष्ट्र ने मंत्रोच्चारण,नवंकार महामंत्र व भगवान पार्श्वनाथ के मंत्रों के जाप के साथ प्रतिमाओं को गर्भगृह में प्रवेश करवाया तथा रंगलाल एण्ड पार्टी के भक्ति गीतों की प्रस्तुतियां दी। खरतरगच्छ संघ से सम्बद्ध बालक-बालिकाओं के अर्हम बैंड की नवंकार महामंत्र की धुनों के बीच रास-रसना परिवार के गणेश बोथरा व राहुल कोचर आदि श्रावकों ने प्राचीन मंदिर से प्रतिमाओं को लाकर नए मंदिर में प्रवेश करवाया। विभिन्न पूजाओं में श्री सुगनजी महाराज उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, श्री पार्श्वनाथ जिन मंदिर जीर्णोद्धार ट्रस्ट के मनोज सेठिया, हस्तीमल सेठी व भीखमचंद बरड़िया, सुश्रावक पवन बोथरा, कंवर लाल खजांची, विचक्षण महिला मंडल, मन्नु मुसरफ, नवरतन कोठारी, निर्मल पारख आदि बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाओं ने हिस्सा लिया।
श्री पार्श्वनाथ जिन मंदिर जीर्णोद्धार ट्रस्ट के हस्तीमल सेठी ने बताया कि मूल नायक भगवान पार्श्वनाथ की 24 ईंची तथा भगवान शांतिनाथजी और भगवान नेमीनाथजी की 21 ईंची की सफेद संगरमर की बनी प्रतिमाओं को नूतन मंदिर में तथा देवी चक्रेश्वरी व भोमियाजी की प्रतिमाओं को विधि-विधान से प्रवेश करवाया गया। उन्होंने बताया कि 80 गुणा 100 वर्ग फीट के इस मंदिर परिसर में 44 गुणा 64 वर्गफीट में मंदिर का निर्माण कार्य करवाया गया है। मंदिर के निर्माण में 35 हजार घन फीट सफेद मकराना का शुद्ध डेढ़ क्वालिटी का सफेद मार्बल का उपयोग किया गया है। सेठी ने बताया कि विचक्षण ज्योति, प्रवर्तनी, महामांगलिक प्रदाता साध्वीश्री चन्द्रप्रभा की साक्ष्य व प्रेरणा से 145 वर्ष प्राचीन मंदिर में जनवरी 2013 में जीर्णोद्धार व नवीनीकरण कार्य शुरू किया गया था। मंदिर के पूर्ण निर्माण में एक वर्ष और लगेगा।
पांच सौ से अधिक वर्षों तक सुरक्षित रहेगा मंदिर
मंदिर के इंजीनियर व वास्तुशास्त्री तथा बीकानेर सहित देश के अनेक स्थानों पर मंदिरों का निर्माण करवा चुके अहमदाबाद के कमलेश भाई ने बताया कि मंदिर के गर्भगृह, कोली मंडप, रंग मंडप,गुम्बज, श्रृंगार चौकी का निर्माण वास्तु, शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र व शिल्प शास्त्र के अनुसार प्राचीन द्रविड़ पद्धति से किया गया है। कोरनी आदि का कार्य भी कलात्मक तरीके से करवाया गया है। मंदिर का सफेद संगमरमर कभी पीला नहीं होगा तथा मंदिर की नींव इतनी मजबूत भरी गई है कि आंधी, तुफान व भूकंप के झटके से भी लगभग 500 वर्ष से अधिक वर्षों तक मंदिर सुरक्षित रहेगा। मंदिर के चारों ओर 108 फणीधारी भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमाएं, चारों दिशाओं में इंद्र की प्रतिमा, निज मंदिरों में तोरण स्थापित किए जाएंगे।
इनका हुआ सम्मान
मंदिर के गर्भगृह प्रवेश समारोह के दौरान देश-विदेश में 1152 मंदिरों में प्रतिष्ठा करवा चुके विधिकारक सिरोही के मनोज कुमार, बाबूलाल हरण, वास्तुकार इंजीनियर अहमदाबाद के कमलेश भाई, पवन बोथरा, पवन पारख, मंदिर निर्माण में सहयोग देने वालों तथा रस रसना परिवार के सदस्यों का सम्मान किया गया।
महाराजश्री ने दिया आशीर्वाद
शिबबाड़ी के लालेश्वर महादेव मंदिर के अधिष्ठाता स्वामी विर्मशानंद गिरि ने मंदिर निर्माण में लगे श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट मंत्री रतन लाल नाहटा, चातुर्मास व्यवस्था समिति के संयोजक निर्मल पारख तत्वावधान में श्री पार्श्वनाथ जिन मंदिर जीर्णोद्धार ट्रस्ट के सदस्य हस्तीमल सेठी, भीखमचंद बरड़िया, मनोज सेठिया व हेमंत खजांची, वास्तुकारों व इंजीनियरों व कारीगरों तथा मंदिर निर्माण में परोक्ष-अपरोक्ष रूप् से सेवाएं देने वालों को आशीर्वाद दिया। स्वामीजी ने कहा कि भगवान पार्श्वनाथ के मंदिर बन जाने से लालेश्वर महादेव मंदिर की शोभा में श्रीवृद्धि होगी।

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