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बीकानेर,पांच दरवाजे और आठ बारियों के बीच लगभग 7.5 किमी परिधि के परकोटे वाला पुराना बीकानेर शहर मंडप बन गया है। पुष्करणा सावे में तीन दिन बाद यानी 18 फरवरी को एक ही दिन में लगभग 300 शादियां होने वाली हैं। वैवाहिक कार्यक्रम शुरू हो चुके हैं। मंगलगीत गाए जा रहे हैं। छींकी, देरावड़ी की मंत्रोच्चार के साथ मस्ती वाली रस्में देर रात तक चल रही है।

चौक-मोहल्लों से सजी-धजी महिलाओं के झुंड मिठाई की थालियां यानी प्रसाद लिए गुजरती नजर आ रही हैं। इन सबके बीच देश-दुनिया से प्रवासी सावे में भागीदारी करने पहुंच चुके हैं। लगभग 25 शहरों से आए सैकड़ों प्रवासियों के साथ कई एनआरआई में बाराती घराती हैं। एक दिन में होने
वाली तीन सौ शादियों में से लगभग 200 पुष्करणा एवं बाकी अन्य जाति,समाज की है। हर शादी में शामिल प्रवासी रघुनाथसर कुआं
पर रहने वाले मुकंद व्यास इस बात से खुश हैं कि उसकी शादी में कोलकाता से मौसी भी शामिल हो रही हैं। बारह गुवाड़ में पूजा छंगाणी की बुआ पाना देवी ताऊ भंवर लाल भी कोलकाता से आए बुआ से के बेटे जयपुर से आएंगे। पूरा परिवार एकसाथ होगा

संस्कारः नोएडा से यहां पुष्करणा सावे पर शादी करने आया सॉफ्टवेयर इंजीनियर नीलकंठ व्यास

नोएडा की कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर नीलकंठ व्यास शादी करने परिवार के साथ बीकानेर आए हैं। उनके पिता डूंगर कॉलेज के पूर्व प्रिंसीपल एनके व्यास बताते हैं कि सावे पर शादियों का जी मजा है, वह अन्य दिनों में नहीं है। इसीलिए बेटे की शादी के लिए यह दिन चुना है। रिश्तेदार भी दिल्ली, फरीदाबाद, अमृतसर व मुंबई से आ रहे हैं।

भव्यता: खासकर शादी में शामिल होने 6 साल बाद लंदन से आए सीए, जर्मनी से सॉफ्टवेयर इंजीनियर

लालाणी व्यास चौक के मूल निवासी अविनाश व्यास लंदन में सौए हैं। छह साल बाद खासतौर से सावे पर ही बीकानेर आए हैं। अविनाश कहते हैं कि सावा हमारी संस्कृति की पहचान है, शदियों पहले हमने मितव्ययता से शादी करने की परंपरा डाली, जो आज भी कायम है। जर्मनी के म्युनिख में सॉफ्टवेयर इंजीनियर अपनी मासी की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए आए हैं।

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