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बीकानेर,अब आईएएस एसोसिएशन अति कर रही है। अति सर्वत्र वर्जन्ते नीति वाक्य है। मंत्री मीणा ने बीकानेर कलक्टर के साथ जो बर्ताव किया उसकी व्यापक निंदा हुई है। मंत्री की साख गिरी है। सरकार की भी थू थू हुई है। जनता, कार्मिक संगठनों और संस्थाओं ने मंत्री और सरकार पर इतने व्यंग्य बाण छोड़े हैं कि मरना हो जाए। मंत्री की करनी की सजा स्वत: ही मिल गई है। ब्यूरोक्रेसी में, जनता में और राजनीतिक गलियारों में उनकी छवि गिरी है। सरकार की भी किरकिरी कम नहीं हुई है। घटना का इंतहा हो गया। अब ब्यूरोक्रेसी जो भी मंत्री के खिलाफत के बहाने कर रही है वो आईएएस एसोसिएशन की साख पर बट्टा लगने वाला काम है। मंत्री का व्यवहार कोई कानूनी अपराध तो था नहीं। एथिक्स की अवहेलना मात्र है। जो मंत्री को कतई नहीं करना चाहिए। सवाल यह भी है कि आईएएस कितना एथिक्स रखते हैं गिरेबान में झांकने की जरूरत है। मंत्री के खिलाफ आईएएस एसोसिएशन का मोर्चा खोलना, काम बंद करने की धमकी देना, मुख्य सचिव का यह बयान कि काम करना असंभव है। मंत्री के कलक्टर के साथ किए व्यवहार से भी ओछा व्यवहार है। आईएएस एसोसिशन जनता के साथ खिलवाड़ पर उतर आई है। राजनीति और ब्यूरोक्रेसी के बीच खेमाबंदी जैसा वातावरण बनाया जा रहा है। यह भी उतना ही निंदनीय है जितना कलक्टर के साथ मंत्री का व्यवहार। केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का यह कथन सही हो सकता है कि घटनाक्रम का यह व्यवहार सरकार के संकट ( क्रासिस) का हिस्सा है। ब्यूरोक्रेसी इसका हिस्सा नहीं बने तो ही आई ए एस एसोसिएशन की इज्जत है नहीं तो दूध से धुले तो आईएएस भी नहीं है।

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