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नई दिल्ली, दस जनपथ के उच्च पदस्थ आंतरिक सूत्र दृढ़तापूर्वक कह रहे हैं कि गांधी परिवार राज्यसभा की चार में से एक सीट पर से -अशोक गहलोत को चुनाव मैदान में -उतारने के आईडिया पर गंभीरतापूर्वक विचार ले रहा है। इन चारों सीटों पर अप्रैल में चुनाव होंगे।

चूंकि, पार्टी उनके नेतृत्व में बड़ी तेजी से नीचे की ओर जा रही हैं, इसलिए शीर्ष नेतृत्व ऐसा महसूस कर रहा है कि गहलोत की सबसे सम्मानजनक विदाई उनको राज्यसभा सदस्य बनाना होगी और इससे उनको साख भी बच जाएगी।

यह बड़ी आश्चर्यजनक बात है कि गहलोत पार्टी में कई पदों पर रहे हैं, चाहे वह केन्द्रीय मंत्री, ए.आई.सी.सी. महासचिव प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मुख्यमंत्री या लोकसभा सदस्य का पद हों, लेकिन वे कभी राज्यसभा सांसद शपथ लेंगे। नहीं रहे और इस विसंगति का भी सुधार करना जरूरी है।

प्रस्तावित योजना के अनुसार, सचिन पायलट मुख्यमंत्री होंगे और गहलोत के पुत्र वैभव को अशोक गहलोत के सरदारपुरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। पायलट सरकार में वैभव भी शपथ लेंगे।

गहलोत के हटने तथा सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने पर पायलट, वैभव की जीत के लिये काम करने के लिये प्रेरित होंगे। गांधी परिवार इस बात को बड़े दुख के साथ कहता आ रहा है कि अशोक गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान में पार्टी की जीत को कोई संभावना नहीं हैं, जबकि राजस्थान में जातिगत समीकरण तथा गठबंधन, जो सचिन पायलट के पक्ष में होंगे

मद्देनजर रखते हुये यह कहा जा सकता है कि सचिन पायलट के नेतृत्व में पार्टी की जीत की बेहतर संभावना होगी। सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व राज्यसभा चुनावों की प्रतीक्षा में हैं क्योंकि पार्टी को 4 में से 3 सीटें जीतने के लिये निर्दलीय विधायकों का साथ रहना जरूरी है। आशंका यह थी कि अगर वे राज्यसभा चुनावों से पहले हटा दिये जाते तो वे राज्यसभा चुनाव में पार्टी का खेल बिगाड़ने में प्रसन्नता का अनुभव करते। इस बदलते हुये परिदृश्य से कांग्रेस के पास यह अवसर होगा कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी खुलकर तथा दमदारी के साथ चुनाव लड़कर राजस्थान की सत्ता में दोबारा आ सके।लेकिन इसमें एक आशंका जरूर है कि यथास्थिति को महत्व देने वालो सोनिया गांधी, जैसा कि उनका पिछला रिकॉर्ड रहा है, अन्त समय में कहीं को डगमगा न जायें।

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