बीकानेर,नगर निगम द्वारा अतिक्रमण मुक्त अभियान के तहत रविवार को सीताराम गेट के अंदर व बाहर के अतिक्रमण हटाये गये। इस दौरान निगम आयुक्त गोपल राम बिरदा सहित होमगार्ड के जवान मौके पर तैनात रहे। कुछ दुकानदारों ने इस कार्रवाई का विरोध जताते हुए एक तरफा कार्रवाई करने का आरोप लगाया। वहीं निगम के अधिकारियों का कहना है कि यहां अतिक्रमण की लगातार शिकायतें मिल रही थी। शिकायतों के आधार दुकानदारों को मौखिम रूप से समझाईश कर अतिक्रमण हटाने को कहा गया था लेकिन दुकानदारों ने सुनवाई नहीं की। जिस पर निगम की टीम शनिवार को मौके पर पहुंचकर जेसीबी के द्वारा अतिक्रमण को हटाया गया। इस दौरान अवैध रूप से बनाई गई दुकानों व दुकानों के बाहर बनाई गई चौकियों को तोड़ा गया। निगम आयुक्त ने बताया कि कार्यवाही लगातार जारी रहेगी।
बेबस जनप्रतिनिधि,सरकार की छवि धूमिल
शहर में अतिक्रमण को लेकर संभागीय आयुक्त नीरज के पवन के प्रयासों को निगम की ओर से पलीता लगाया जा रहा है। जिसके चलते आमजन में संभागीय आयुक्त की छवि धूमिल हो रही है। अब लोग इस बात को लेकर सवाल उठाने लगे है कि नियमों की आड़ में निगम की ओर से अतिक्रमियों के साथ खीस निकाली जा रही है। ऐसा ही मामला शनिवार को बी के स्कूल के पास की गई अतिक्रमण की कार्यवाही में देखने को मिला। जब निगम के आयुक्त ने भेदभावपूर्ण नीति के चलते अतिक्रमण तोडऩे की कार्यवाही की। जिसकी बानगी हमारे फोटोग्राफर द्वारा खीचें गये छायाचित्र बयां कर रहे है। जिसमें आयुक्त जिस दुकान पर बैठे है,उस दुकान पर पीला पंजा नहीं चलाया गया। जबकि उसके पास व उसके सामने की दुकानों पर ताबड़तोड़ कार्यवाही कर क्षति पहुंचाई गई। लोगों की शिकायत थी कि पूर्व में अतिक्रमण दस्ते की ओर से अतिक्रमण पर लाल मार्क नहीं लगाएं गये। जब इसकी शिकायत मौके पर मौजूद आयुक्त से की गई तो वे अपनी शान के कसीदे पढ़ते दिखे और वहां मौजूद पब्लिक से अहंकारी भाव से बात करते नजर आएं। प्रत्यक्षदशियों का कहना है कि आयुक्त जिस दुकान के सामने बैठे वहां महज दिखावटी कार्यवाही की गई। इस बात का बवाल भी वहां मचा। किन्तु आयुक्त अनसुनी कर वहां से नौ दो ग्यारह हो गये।
राज्य सरकार की छवि पर भी लगा दाग
एक ओर तो राज्य सरकार के मुखिया अपनी सरकार को आमजन के हितार्थ वाली सरकार और जनकल्याणकारी सरकार का दावा करते है। किन्तु उनकी सरकार में लालफीताशाही किस कदर हावी है। इसका नजारा बीकानेर में देखने को मिल रहा है। जब व्यवस्था के नाम पर दुकानदारों को नुकसान पहुंचाने के अलावा,थड़ी गाड़े वालों को उजाड़ा गया। यहीं नहीं जब इसकी शिकायत लेकर आमजन के प्रतिनिधि संबंधित अधिकारी के पास पहुंचते है तो वे पद के मद में लोगों से बात करते है। ऐसे में यहां के जनप्रतिनिधियों पर भी अब सवाल उठते नजर आ रहे है कि आखिर लालफीताशाही के सामने शहर के जनप्रतिनिधि इतने बेबस कैसे हो गये।