बीकानेर,विधानसभा चुनाव से पहले पहले एक बार फिर प्रदेश के कर्मचारी गहलोत सरकार के लिए सिरदर्द बन रहे हैं. सामान नौकरी समान वेतन की मांग को लेकर प्रदेश के मंत्रालयिक कर्मचारी आंदोलन की राह पर हैं.
11 नवंबर को जयपुर में शहीद स्मारक पर मंत्रालयिक कर्मचारी धरना देंगे. इस धरने में अधिक से अधिक कर्मचारी शामिल हों, इसके लिए संघर्ष समिति की ओर से सभी विभागों के कर्मचारियों को पीले चावल बांट रहे हैं.
राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी संघर्ष समिति की ओर से सचिवालय के समान वेतनमान सहित अपने 9 सूत्री मांग पत्र के समर्थन में जयपुर में धरना दिया जाएगा. चुनाव से पहले सरकार पर अपनी मांगों का दबाव बने, इसको लेकर इस धरने में अधिक से अधिक संख्या में कर्मचारियों को शामिल होने का न्योता दिया जा रहा है. संघर्ष समिति प्रदेश स्तर पर सभी विभागों में कर्मचारियों को पीले चावल दे कर निमंत्रण दे रही है. आखिर चुनावी माहौल में ही क्यों कर्मचारी आंदोलन की राह पर हैं? इस पर महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ से ईटीवी भारत ने खास बात की…
समान काम, समान वेतन: अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि सचिवालय के समान वेतनमान, कनिष्ठ सहायक को आरंभिक वेतन 25500 रुपए, चयनित वेतनमान 8, 16, 24, 32 गृह जिले में समायोजन सहित मांगों सहित 9 सूत्री मांग पत्र को लागू करवाने के लिए 11 नवंबर को जयपुर के शहीद स्मारक पर विशाल धरना और प्रदर्शन किया जायेगा. कर्मचारियों को जागरूक करने के राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी संघर्ष समिति की ओर से मंगलवार से विभागों में सभाओं का आगाज किया गया.
11 नवंबर को धरने के लिए कर्मचारी बांट रहे पीले चावल
साथ ही आज से ही राजकीय कार्यालयों में कर्मचारियों को पीले चावल बांटे जा रहे हैं. ताकि इस धरना और प्रदर्शन में अधिक से अधिक संख्या में कर्मचारी पहुंच सकें. उन्होंने बताया कि जब कर्मचारियों के वेतन और पदोन्नति के पद घट गए थे और मंत्रालयिक संवर्ग निराशा के गर्त में डूब गया था, उस वक्त संघर्ष समिति का गठन हुआ था. संघर्ष समिति ने गत वर्ष 9 सितंबर को शहीद स्मारक पर एक बड़ा धरना एवं प्रदर्शन किया और उसके पश्चात लगातार सरकार पर निरन्तर दबाव बनाए रखा गया.
यहां तक की दीपावली पर शीर्ष नेतृत्व की ओर से अनिशितकालीन अनशन की चेतावनी दी गई, जिसके कारण अन्ततः मुख्यमंत्री को संघर्ष समिति को वार्ता के लिए बुलाना पड़ा था. इसी का परिणाम था कि इस वर्ष एसीपी से होने वाली वेतन कटौती ही दूर नहीं हुई, कैडर रिव्यू कर पदोन्नति के बहुत सारे पद बहाल किए गए, जिससे प्रत्येक विभाग में संस्थापन एवं प्रशासनिक अधिकारी के पद स्वीकृत हुए. संघर्ष समिति ने इसके बाद भी लंबित मामलों में सचिवालय के समान वेतनमान को प्रमुख मांग बनाते हुए आंदोलन जारी रखा था. अब शहीद स्मारक पर धरने में आने के लिए पीले चावल बांटकर कर्मचारियों को आमंत्रित किया गया है.
ये है संघर्ष समिति की मांगें-
- अधीनस्थ मंत्रालयिक संवर्ग को सचिवालय के समान वेतनमान (सहायक प्रशासनिक अधिकारी (ग्रेड पे 4200) व पदोन्नति के अवसर तथ उप निदेशक (प्रशासन) का नवीन पद (ग्रेड पे 8700) में सृजित किया जाए.
- कनिष्ठ सहायक को 30 नवम्बर, 2017 से पूर्व की भांति 9840 (ग्रेड पे 2400) बहाल कर 7वें वेतनमान में आरम्भिक वेतन 25500 किया जाए.
- पंचायती राज संस्थाओं में कनिष्ठ सहयक के 10000 पद पुनः बहाल किये जावे तथा मंत्रालयिक कर्मचारियों को अन्य विभागों के समान राज्य कर्मचारी घोषित किया जावे तथा पदोन्नति के पद सृजित किए जाएं.
- चयनित वेतनमान 9, 18, 27 के स्थान पर 8, 16, 24, 32 वर्ष की सेवा पर दिया जाकर पदोन्नति पद के वेतन का लाभ दिया जावे.
- राजस्व मण्डल का विघटन नहीं किया जावे और प्रशासनिक सुधार के नाम पर विभिन्न विभागों को समाप्त करने और मंत्रालयिक कर्मचारियों को अधिशेष करने की कार्यवाही बन्द की जाए.
- 2018 बैच एवं इसके अतिरिक्त भी कोई मंत्रालयिक कर्मचारी, जिन्हें गृह जिले से अन्यत्र पदस्थापित किया हुआ है, उन्हें प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से एक बारीय शिथिलता प्रदान कर गृह जिलों में समायोजित किया जावे.
- वरिष्ठ सहायक के समाप्त किए गए पदों के अनुपात में पदोन्नति के पद क्रमोन्नत किए जाएं ताकि कनिष्ठ सहायक के पदोन्नति के अवसरों में कमी नहीं हो.
- पदोन्नति के नव क्रमोन्नत पदों को पूर्ण रूप से भरने के लिए अनुभव में एक बारीय पूर्ण शिथिलता एवं एक वर्ष की छूट के स्थान पर पूर्व की भांति अनुभव में एक बारीय पूर्ण शिथिलन 31 मार्च, 2023 तक दे करते हुए रिव्यू डीपीसी के स्थान पर प्रति वर्ष दो बार डीपीसी किए जाने के आदेश जारी किए जाएं. जिससे सभी विभागों में संस्थापन अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी के समस्त पद कम से कम एक बार तो भरे जा सकें.
- मंत्रालयिक कर्मचारी निदेशालय गठन में राजस्थान के समस्त मंत्रालयिक कर्मचारियों की वरीष्ठता सूची बनाते हुए शासन सचिवालय मंत्रालयिक कर्मचारियों को भी इसमें शामिल किया जाए अन्यथा निदेशालय का गठन नहीं किया जावे.