
बीकानेर,गच्छाधिपति आचार्य प्रवर जिन मणि प्रभ सूरीश्वरजी महाराज के आज्ञानुवर्ती गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा., मंथन प्रभ सागर, बाल मुनि मीत प्रभ सागर, बीकानेर की साध्वी दीपमाला श्रीजी व शंखनिधि के सान्निध्य में सोमवार को ढढ्ढा कोटड़ी में 12 वर्षीय बालिका पीहू सुराणा पुत्री अजय सुराणा का अट्ठाई तथा श्रीमती मुस्कान चोपड़ा के चार दिन की तपस्या पर अभिनंदन किया गया। जिन दत्त सूरी तप व सिद्धि तप के तपस्वियों की साधना की अनुमोदना की गई। तपस्वियों को मुनि मेहुलप्रभ सागर म.सा. ने धार्मिक क्रिया व अनुष्ठान करवाएं।
गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ने प्रवचन में कहा कि पुरुषार्थ का तात्पर्य है, मनुष्य का प्रयास । मनुष्य धर्म (धार्मिकता), अर्थ (धन), काम (इच्छाएं) और मोक्ष (मुक्ति) के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पुरुषार्थ करता है। जिन शासन में कर्मों के बंधन से मुक्त होने, आत्म साक्षात्कार प्राप्त करने के लिए पुरुषार्थ करने का संदेश दिया है। अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी नहीं करना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह (जरूरत से अधिक संग्रह) नहीं करने के सिद्धान्त की प्राप्ति के लिए पुरुषार्थ कर अपने कर्मों के बंधन को कम कर सकता है, और मोक्ष की ओर आगे बढ़ सकता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में लोग धर्म के सही मर्म को जानने व उसके अनुसार चलने के लिए वांछित पुरुषार्थ नहीं करते। सांसारिक विषय वस्तुओं की प्राप्ति, अपनी इच्छाओं की पूर्ति, धन उपार्जन के लिए पुरुषार्थ करते है। उन्होंने दो कहानियों के माध्यम से बताया कि मनुष्य को वास्तविक पुरुषार्थ धर्म-अध्यात्म के मार्ग पर चलते हुए, आत्म व परमात्म साक्षात्कार के लिए पुरुषार्थ करना चाहिए। तपस्वी बालिका पीहू सुराणा व मुस्कान चोपड़ा का अभिनंदन उदासर की श्रीमती संगीता देवी कोठारी व विचक्षण महिला मंडल की सुनीता नाहटा आदि श्राविकाओं ने किया। तपस्वी बालिका पीहू सुराणा का वरघोड़ा (विभिन्न) जैन बहुल्य मोहल्लों तथा जिनालयों के दर्शन करते हुए क्षमा कल्याण वाटिका, ढढ्ढा कोटड़ी पहुंचा। शोभायात्रा में शामिल श्रावक-श्राविकाएं देव,गुरु व धर्म के साथ तपस्वी तथा तपस्या का गुणगान कर रहे थे। बग्गी में सवार तपस्वी बालिका के आगे बैंड पार्टी नवकार महामंत्र की धुन बजा रही थी।