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बीकानेर, भाजपा नेता रविशेखर मेघवाल ने राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा पर आरोप लगाते हुये कहा कि राजस्थान में कमजोर होती शिक्षा की बुनियाद बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड है। श्री रविशेखर मेघवाल ने कहा कि मजबूत शिक्षा प्रणाली हर राज्य के आर्थिक विकास और समृद्धि के लिये महत्वपूर्ण कड़ी होती है लेकिन जब से राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार बनी है तभी से हमारी शिक्षा प्रणाली बुनियादी सुविधाओं को तरसती हुई सी नजर आती है। श्री रविशेखर मेघवाल ने कहा कि भाजपा सरकार में शिक्षा को लेकर उत्कृष्ट कार्य और विभिन्न ऐसी योजनाओं को मूल रूप दिया गया था जिसके चलते बच्चों का स्कूल तक पहुंचना आसान हुआ साथ ही स्कूलों में दाखिलों और हाजरी में भी अभूतपूर्व सुधार हुये थे। राजस्थान में मौजूदा भाजपा सरकार ने अन्नपूर्णा दूध योजना, बच्चों को लेपटॉप वितरण और साईकिल वितरण के साथ जो कल्याणकारी योजनायें थी उन सभी योजनाओं को सत्ता प्राप्ति के बाद गहलोत सरकार ने बन्द कर दिया गया। श्री रविशेखर मेघवाल ने कहा कि आज राजस्थान में बिगडती शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा के बयानों और उनके व्यवहार को देखें तो हम समझ सकते हैं कि शिक्षा की बुनियाद कितनी कमजोर होती जा रही है। आज यह बडा ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजस्थान में एक शिक्षा मंत्री के पद पर बैठे जिम्मेदार व्यक्ति द्वारा किसी ने किसी के साथ गैर जिम्मेदाराना व्यवहार और गैर जिम्मेदाराना बयान दिया जाता है जो कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड से लगता है। जब से राजस्थान में कांग्रेस की सरकार आई है तब से शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा अपने गैर जिम्मेदाराना बयानों से ज्यादा चर्चा में रहे हैं बजाय इसके के धरातल स्तर पर अच्छी शिक्षा नीति द्वारा विद्यार्थियों के भविष्य के लिये बेहतर प्रयास किये जाते। श्री रविशेखर मेघवाल ने आरोप लगाते हुये कहा कि बीते दौर में शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा का शिक्षकों, विद्यार्थियों और शिक्षा नीति को लेकर जिस प्रकाश के बयान मीडिया में सुर्खियां बटौरे उनकों देख हम यह उम्मीद कतई नहीं लगा सकते की यह राजस्थान में शिक्षा के स्तर को गरीमामय रूप दे सकते हैं। श्री रविशेखर मेघवाल ने कहा कि राजस्थान के लिये बडा ही दुर्भाग्य का विषय है जब अन्तराष्ट्रीय बालिका दिवस पर राजस्थान के शिक्षा मंत्री श्री गोविन्द सिंह डोटासरा यह बयान देते हैं कि जिस स्कूल में महिला शिक्षक अधीक होगी वहां लडाई झगडे भी ज्यादा होंगे। जब एक शिक्षा मंत्री महिलाओं के प्रति शिक्षा को लेकर इस तरह के बयान एक सार्वजनिक कार्यक्रम में दे सकता है तो हम अंदाज लगा सकते हैं कि उनकी दूषित मानसिकता किस तरह की है। श्री रविशेखर मेघवाल ने आरोप लगाते हुये कहा कि आज महिलायें हर क्षेत्र में सक्षम है तथा पुरूषों से ज्यादा काम करती है क्योंकि काम के अलावा भी उनके पास घर और समाज की अन्य जिम्मेदारियां भी रहती है। जो कांग्रेस सरकार महिला सशक्तिकरण की बडी-बडी बात करती है वो धरातल स्तर पर महिला विरोधी सरकार है। इसका अंदाजा न केवल शिक्षा मंत्री के बैतूके बयानों से पता चलता है बल्कि मुख्यमंत्री स्वयं अशोक गहलोत और शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा की उपस्थिति में लखासर गांव में आयोजित प्रशासन गांव के संग उस कार्यक्रम से लगाया जा सकता है जिस कार्यक्रम में गांव की महिला सरपंच को भी मंच पर जगह नहीं मिलती है। श्री रविशेखर मेघवाल ने कहा कि आज राजस्थान की मौजूदा गहलोत सरकार खुले मंच से स्कूल क्रमोन्नत की घोषणायें तो कर रही है लेकिन बीते दो वर्ष से अधीक समय होने के बावजूद भी स्कूलों के विकास और उनकी बुनियादी सुविधाओं के लिये किसी भी तरह की कोई मूलभूत योजनायें नहीं ला पाये। श्री रविशेखर मेघवाल ने कहा कि राजस्थान में मौजूदा दौर में शिक्षा का स्तर काफी घटा है। राजस्थान में सरकारी स्कूलों में अध्यापन तथा अन्य स्टाफ की पूर्ति सरकार नहीं कर पाई है। भाषणों में बडी-बडी डींगे हांकने वाले हमारे शिक्षा मंत्री जी को यह पता भी नहीं है कि सरकारी स्कूल के लिये अभी र्प्याप्त इमारातों की व्यवस्था नहीं है। जो इमारतें पहले की बनी हुई है वो जर्जर अवस्था में है वर्तमान समय में अध्यापकों और छात्रों के भविष्य को लेकर सरकार किसी भी तरह की जवाबदेही लेने के लिये नजर नहीं आ रही है। श्री रविशेखर मेघवाल ने कहा कि सरकार जहां एक तरफ अंग्रेजी माध्यम स्कूले खोलने का दावा कर वाहवाही लूट रही है जबकि धरातल स्तर पर स्थिति यह है कि जब स्कूलों के पास सुविधायें, उपकरण और संसाधनों के अलावा अनुभवी और प्रशिक्षित अध्यापक ही नहीं है तो ऐसे समय में हम बच्चों को वो बुनियादी संसाधन किसी तरह से उपलब्ध करा पायेंगे। आज राजस्थान की स्थिति ऐसी है कि छात्र शिक्षक के अनुपात को देखते हुये ज्यादातर पद खाली पडे हुये हैं और अध्यापक या तो है नहीं अगर कहीं है भी तो जहां उन्हें होना चाहिये वहां नहीं है। आज मौजूद दौर में राजस्थान में प्रतियोगी परिक्षाओं में जिस प्रकार की विसंगतियां हमारे सामने आई है कहीं न कहीं वो राजस्थान की शिक्षा नीति के लिये एक प्रश्न चिन्ह है

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