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बीकानेर,जयपुर। मंगलवार को शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्री ने कोविड़ को ध्यान में रखकर कक्षा 9 वीं से 12 वीं के विधार्थियो के सिलेबस में 30 फीसदी की कटौती की घोषणा के साथ मंथली टेस्ट करवाने की घोषणा की है, शिक्षा विभाग की इन घोषणा को संयुक्त अभिभावक संघ ने निजी स्कूलों को संरक्षण देना बताते हुए कहा है कि ” शिक्षा विभाग निजी स्कूलों को संरक्षण देने के लिए विभिन्न पैतरे अपना कर बच्चो और अभिभावकों के साथ लगातार खिलवाड़ कर रहा है।

प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि ” मंथली टेस्ट करवाना केवल एक प्रोपोगंडा है जिसके माध्यम से निजी स्कूल संचालक अभिभावकों से एक्जाम का डर दिखाकर फीस वसूल सके। ” साथ ही जैन ने यह भी कहा कि राज्य सरकार कोविड़ को लेकर केवल बहानेबाजी कर रही है, अब कोविड़ का बहाना बनाकर विधार्थियो के सिलेबस में 30 फीसदी की कटौती कर दी जबकि पिछले डेढ़ साल से अभिभावक फीस को लेकर शिकायतें कर रहे है शिक्षा मंत्री निजी स्कूलों के दबाव में उन शिकायतों पर सुनवाई नही कर रहे है। कोविड़ के चलते विधार्थियो की पढ़ाई में 30 फीसदी की कटौती तो राज्य सरकार ने कर दी किन्तु उन अभिभावकों की ओर राज्य सरकार नही देख रही है जिनके रोजगार छिन गए, व्यापारियों के व्यापार ठप पड़ गए। जिन अभिभावकों और व्यापारियों के काम-धंधे इस कोविड़ से नष्ट हुए है उनके बच्चे ना ऑनलाइन पढ़ाई कर पा रहे है ना ऑफलाइन पढ़ाई कर पा रहे है निजी स्कूल संचालक केवल फीस का दबाव बना रहे है क्या उन अभिभावकों के प्रति राज्य सरकार की कोई जिम्मेदारी नही है। जब कोविड़ के चलते सिलेबस में कटौती हो सकती है तो फीस पर निर्णय क्यो नही लेती है राज्य सरकार। जबकि फीस एक्ट 2016 बोलता है अगर स्कूल संचालक फीस एक्ट की पालना निर्धारित नही करते है तो राज्य सरकार एक्ट के अनुसार फीस निर्धारित करवा सकती है।

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