बीकानेर स्कूलों में कोरोना पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ने के साथ ही शिक्षा विभाग भी अब गंभीर होने लगा है। शिक्षा विभाग ने निर्णय किया है कि अगर किसी स्कूल में कोरोना गाइड लाइन की पालना नहीं की जाएगी तो इसके लिए संस्था प्रधान ही जिम्मेदार होंगे। सरकार ने करीब डेढ़ माह पहले स्कूलों में शत-प्रतिशत विद्यार्थियों के आने की छूट जारी कर दी थी। लेकिन यह शर्त भी रखी थी कि कोरोना गाइड लाइन की पालना की जाएगी। लेकिन स्थिति यह है कि कक्षाओं में सभी विद्यार्थियों के आने के कारण सोशल डिस्टेसिंग की धज्जियां उड़ने लगी है और स्टाफ तथा विद्यार्थी भी पूरी तरह से मास्क पहन कर नहीं आ रहे हैं। इसके विद्यार्थियों में कोरोना के मामले बढ़ते बनाए। शिक्षा विभाग से कुछ सुझाव भी मांगे कुछ ने सुझाव सरकार को दे भी दिए हैं। अब आगे क्या कार्रवाई की जाएगी इसे लेकर अंतिम निर्णय सरकारी स्तर पर किया जाएगा
निरीक्षण किया जाएगा
विभाग ने यह फैसला लिया है कि कोरोना गाइडलाइन की पालना की
लेकर स्कूलों का निरीक्षण भी किया जाएगा। इसके लिए टीमों का गठन किया जाएगा। साथ ही स्कूलों में भी गाइड लाइन के एक-एक बिन्दु पर गौर से निरीक्षण किया जाएगा।
कार्रवाई की जाएगी
अगर किसी भी स्कूल में कोरोना गाइडलाइन की पालना नहीं की जा रही है तो उसके लिए संस्था प्रधान जिम्मेदार होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी संस्थान संस्थान प्रधान को चाहिए कि वह सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन की पालना के लिए स्टाफ और विद्यार्थियों पर दबाव बनाए
कानाराम, शिक्षा निदेशक
कोरोना ने अभिभावकों की चिंता बढ़ाई
स्कूलों में ऑफलाइन शिक्षण व्यवस्था के साथ पूरी क्षमता से खुले स्कूलों में बच्चों के कोरोना ग्रस्त होने की खबरों ने राज्य के अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है। राज्य के स्कूलों में बच्चों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने से अभिभावक चिंतित होने लगे है। करीब डेढ़ साल बाद पूरी क्षमता से खोले गए स्कूलों में जब ऑफलाइन पढ़ाई शुरू की गई तो एक बार तो स्कूलों में चहल-पहल दिखाई देने लगी लेकिन कुछ दिनों बाद ही ये चहल पहल तब फीकी पड़ने लगी जब राज्य के कुछ स्कूलों में बच्चे कोरोना पॉजिटिव आने लगे। अब अभिभावक अपने बच्चों को लेकर चिंतित नजर आने लगे हैं और स्कूलों में ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्था भी जारी रखने की मांग उठने लगी है।