बीकानेर,चीनी उत्पाद व्यवसाय से जुड़े गोपाल जोशी के अनुसार चीनी से चाशनी तैयार कर लकड़ी के सांचों में भरी जाती है। इससे महल-मालिया सहित विभिन्न तरह के चीनी के खिलौने तैयार किए जाते हैं। लोग लक्ष्मी पूजन के दौरान प्रसाद के रूप में इनका उपयोग करते हैं। रियासतकाल में प्रसाद के रूप में इनका प्रमुखता से उपयोग होता था। चीनी उत्पाद व्यवसाइयों के अनुसार दीपावली पर करीब 50 टन चीनी से महल-मालिया तैयार किए जाते हैं, जिनकी बिक्री शहर से ग्रामीण क्षेत्रों तक स्थित दुकानों के माध्यम से होती है।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन में चीनी से बने महल-मालिया का पारंपरिक रूप से उपयोग दशकों से हो रहा है। हर साल दीपावली के मौके पर चीनी से बनने वाले महल-मालिया की खरीद घर-घर के लिए होती है। दीपावली के दिन पूजन सामग्री में मां लक्ष्मी के समक्ष अर्पित की जाने वाली मिठाइयों में चीनी से बने महल-मालिया का उपयोग अनिवार्य रूप से होता है। दीपावली से करीब एक पखवाड़े पहले ही इनको तैयार करने के साथ बिक्री का क्रम शुरू हो जाता है। चीनी उत्पादों की दुकानों सहित शहर की सैकड़ों दुकानों व आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में इनकी बिक्री होती है।
घर-घर में उपयोग
दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन के दौरान घरों, दुकानों और प्रतिष्ठानों में अन्य मिठाइयों के साथ आवश्यक रूप से इन महल मालिया का उपयोग होता है। व्यवसायी पप्पू जोशी के अनुसार चीनी से बने महल-मालिया के साथ चीनी से बनी बड़क, मक्खनदाणा का उपयोग भी प्रसाद के रूप में होता है।
यह हैं भाव
लक्ष्मी पूजन के लिए चीनी से बने महल-मालिया, बड़क, मक्खनदाणा की लोग प्रमुखता से खरीदारी कर रहे हैं। मतीरा बीज, चणा व ज्वार फूली के साथ इनकी भी खरीदारी हो रही है। व्यवसायी रवीन्द्र जोशी के अनुसार चीनी से बने महल-मालिया व अन्य चीनी खिलौने 60 से 80 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव से बिक रहे हैं। अन्य चीनी खिलौनों में हाथी तोता, घोड़ा,चिड़िया आदि शामिल हैं।