बीकानेर,कांग्रेस के उम्रदराज नेताओं को घर बैठाने की प्लानिंग के बीच शिक्षा मंत्री डॉ बी डी कल्ला के चुनाव लडने के बयान और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा की चुनाव लडने की मंशा ने पार्टी में जहर घोलने का काम शुरू कर दिया है। राजनीतिक गलियारों में ऐसी कानाफुसी होने लगी है कि ओएसडी लोकेश शर्मा की बार बार चुनाव लडने की मंशा और डॉ कल्ला के खिलाफ उनकी बयानबाजी बैकडोर से सीएम द्वारा डॉ कल्ला को अहसास दिलाने की रणनीति का हिस्सा है। हालांकि इसमें कितनी सत्यता है, इसके परिणाम तो आने वाले समय में सामने आएंगे। किन्तु इतना तय है कि शिक्षा मंत्री व ओएसडी की नूराकुश्ती ने सीएम व कल्ला के बीच थोड़ी टेन्शन के हालात पैदा जरूर किये है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पहले से अशोक गहलोत व सचिन के विवाद के बीच यह एक नया विवाद पार्टी की सरकार रिपीट की रणनीति को धक्का देने वाला कदम नजर आ रहा है।
लोकेश शर्मा को खुली चुनौती,वहीं बीकानेर में सोशल मीडिया और शहर के पाटों पर अब चर्चा होने लगी है। उधर पूर्व पार्षद ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर पैराशूट उम्मीदवार को कतई बर्दाश्त नहीं करने का संकेत दे दिया है। जबकि यह पूर्व पार्षद भाजपा की विचारधारा के है। अब इनकी पोस्ट अपनी पार्टी के लिये है या डॉ कल्ला के लिये। इसके भी अलग अलग मायने निकालें जा रहे है। वहीं एक विडियो में भी लोकेश शर्मा को खुली चुनौती दी गई है कि वे डॉ कल्ला के सामने चुनाव लडने की मंशा न रखे। हालांकि ये शिक्षा मंत्री के समर्थक का विडियो है। परन्तु इतना तो साफ हो गया है कि कल्ला ं की सहमति के बिना किसी प्रत्याशी को सहन करने की स्थिति में नहीं होगा। अगर कांग्रेस ने प्रत्याशी थोपने का प्रयास किया तो वे विपक्षी पार्टी को वाकओवर दे सकती है।
पैराशूट की हो चुकी है दुर्गति,हालांकि लोकसभा चुनावों में भाजपा व कांग्रेस पैराशूट उम्मीदवारों के भरोसे जीतते आएं है। ऐसा नहीं कि स्थानीय नेता जीते नहीं है। किन्तु विधानसभा चुनावों में स्थानीय मतदाताओं ने किसी भी बाहरी उम्मीदवार को मौका नहीं दिया है। बीकानेर पूर्व से पिछली बार नोखा विधायक रह चुके कन्हैयालाल झंवर को न तो कांग्रेसजनों ने और न ही स्थानीय मतदाताओं ने सहन किया। हालांकि वे सिद्विकुमारी से कम मार्जन से चुनाव हारे हो । किन्तु पैराशूट के ठप्पे को मिटा नहीं पाएं। वहीं बीकानेर पश्चिम में मानिकचंद सुराणा भी जिले के होने के बाद भी इस विधानसभा में सैंधमारी नहीं कर पाएं।
आलाकमान की नसीहत के बाद भी जुबानी जंग उधर कांग्रेस के आलाकमान और प्रदेश प्रभारियों कांग्रेस नेताओं को किसी प्रकार की जुबानी जंग से आगाह कर रखा है। उसके बाद भी शिक्षा मंत्री के उतर का प्रति उतर मुख्यमंत्री के ओएसडी बराबर दे रहे है।ओएसडी को सीएम का अप्रत्यक्ष समर्थन है। तभी तो वो अपने सीनियर नेता के बारे में बयानबाजी कर रहे है।