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बीकानेर,जिले के ग्रामीण इलाकों की राजकीय स्कूलों में विद्यार्थियों की तादाद भले ही तेजी से बढ़ रही है,लेकिन शिक्षकों का पलायन शहरों की ओर होने से गांवों के स्कूलों में पढ़ाई पटरी से उतरी हुई है। ऐसे में कई गांवो के सरकारी स्कूलों में अब ताले लगने जैसी नौबत आ रही है। कुछ गांवों में खुद विद्यार्थी स्कूलें बंद करके धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। अधिकारी इधर-उधर से शिक्षण व्यवस्था करके शिक्षक लगा भी रहे हैं लेकिन आने वाले दिनों तबादलों के बाद हालात और बिगडऩे वाले हैं। महाजन के गांव मोहकमपुरा में सरकारी स्कूल में अध्यापकों की कमी के चलते विद्यार्थियों ने स्कूल में तालाबंदी कर दी। इसके बाद शनिवार सुबह अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर समझाइश की। इसके बाद स्कूल तो खुल गया लेकिन टीचर्स की कमी अब तक पूरी नहीं हो सकी है। यहां तेरह टीचर्स के पद स्वीकृत है लेकिन आठ अध्यापक ही कार्यरत है। विद्यार्थियों के आंदोलन के बाद यहां दो अध्यापकों की व्यवस्था की गई है। ब्लॉक शिक्षा अधिकारी रेवंत राम पंवार ने बताया कि फिलहाल शिक्षण व्यवस्था करके टीचर लगाए गए हैं। महाजन के मोकमपुरा में ही नहीं बल्कि महाजन, लूणकरनसर, नोखा, खाजूवाला सहित सभी ब्लॉक में टीचर्स के पद गांवों में खाली पड़े हैं। वहीं बड़ी संख्या में इंग्लिश मीडियम स्कूल तो खोल दिए गए हैं लेकिन वहां टीचर्स नहीं है। वहां अंग्रेजी माध्यम पढ़ाने वाले तो दूर हिन्दी में पढ़ाने वाले टीचर्स का अभाव है।बीकानेर में स्कूलबंदी का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले श्रीडंूगरगढ़ और नोखा उपखंड के गांवों में ऐसी नौबत आ चुकी है। गांवों में स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती का आंकड़ा गड़बड़ाने का मुख्य कारण यह सामने आया है कि शिक्षा विभाग ने महात्मा गांधी स्कूल्स में पढ़ाने के लिए शिक्षकों से आवेदन मांगे थे, ऐसे में गांवों से बड़ी संख्या में शिक्षक शहरी महात्मा गांधी स्कूल में आ गए। बीकानेर, नोखा, लूणकरनसर व श्रीडूंगरगढ़ के महात्मा गांधी स्कूल्स मे टीचर पदस्थापन के चक्कर में गांवों के स्कूल खाली हो गए। यहां तक कि जिन गांवों में पहले पद भरे रहते थे, वहां भी अब पद खाली है। बीकानेर शहर के आसपास के स्कूल्स में भी पद खाली पड़े हैं। देशनोक, रासीसर, नोखा, श्रीकोलायत, बीकानेर के आसपास के गांवों से टीचर्स को शहर में लगा दिया गया है। इनमें कुछ महात्मा गांधी स्कूल में पदस्थापित हुए तो कुछ डेपुटेशन हो रखे हैं।

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