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बीकानेर,यूआईटी के प्रभारी अधिकारी कालूराम पड़िहार के अजीबोगरीब बयान के बाद जिला उपभोक्ता मंच ने उन्हें दो लाख पांच हजार रूपए का झटका दिया है। हैरान कर देने वाला यह मामला गंगाशहर रोड़ के खसरा नंबर 218 से जुड़ा है। यह वही ज़मीन है जहां सामुदायिक अस्पताल प्रस्तावित है। गंगाशहर निवासी जेठाराम सुथार व महेश सुथार ने यूआईटी से इसी जमीन से संबंधित दस्तावेजों की नकल मांगी थी। यूआईटी ने 10 रूपए लेकर आवेदन पत्र दिया। लेकिन यूआईटी की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। प्रार्थी ने उपभोक्ता मंच में दावा कर दिया। मंच में यूआईटी ने अजीब तरह से जवाब पेश किया। नकल आवेदन को आरटीआई आवेदन बताया गया। जबकि स्पष्ट रूप से मामला यूआईटी के अधिकृत नकल आवेदन का था। आखिरकार यूआईटी के प्रभारी अधिकारी द्वारा पेश किए गए शपथ पत्र में भी गलती स्वीकार की गई। कहा गया कि प्रार्थी नियमानुसार दो लाख रूपए प्राप्त करने के अधिकारी हैं।

अब उपभोक्ता मंच ने यूआईटी को 24 घंटे के भीतर प्रकरण का निस्तारण करने के आदेश देते हुए प्रार्थी को दो लाख रूपए मुआवजा व पांच हजार रूपए परिवाद व्यय के देने का आदेश दिया है। यह राशि यूआईटी संबंधित अधिकारी के वेतन अथवा संपत्ति से वसूल करेगा ताकि न्यास को कोई आर्थिक हानि ना हो। निर्णय आयोग के अध्यक्ष दीनदयाल प्रजापत, सदस्य पुखराज जोशी व मधुलिका आचार्य ने सुनाया।बता दें कि यह अपने आप में अनूठा मामला है, जब यूआईटी ने नियमों की अवहेलना करते हुए प्रार्थी को नकल भी नहीं दी और न्यायालय में गलती स्वीकार कर प्रार्थी को मुआवजे का हकदार भी बताया। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी की तरफ से पैरवी एडवोकेट अनिल सोनी ने की।

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