बीकानेर,हर साल 26 जनवरी को बीकानेर दिल्ली के राजपथ पर शान और शान से होने वाली परेड में हिस्सा लेने वाला 58/5 नंबर का ऊंट अब सक्रिय ड्यूटी नहीं कर पाएगा. बीएसएफ में 14 साल सेवा देने के कारण इसे रिटायर करने की तैयारी की जा रही है।
राज्य पशु घोषित किए जाने के बाद ऊंट की यह पहली औपचारिक सेवानिवृत्ति होगी। दरअसल, राजकीय पशु घोषित किए जाने के बाद बीएसएफ में ऊंटों की नीलामी पर रोक लगा दी गई है.
बीएसएफ मुख्यालय में नई एसओपी जारी कर दी गई है। उनके मुताबिक 11 साल तक सेवा देने वाले ऊंट को विधिवत सेवानिवृत्त कर वहीं पुनर्वास केंद्र में रखना होगा। आज भी गुजरात और राजस्थान की सीमा पर गश्त के लिए ऊंटों का इस्तेमाल किया जाता है। बीएसएफ में 11 साल तक ऊंट की सेवा लेने का नियम है। इसके बाद अनुपयुक्त होने पर इसे नीलाम कर दिया गया। लेकिन राजस्थान में ऊंट को राजकीय पशु घोषित किया गया है। इसे देखते हुए ऊंटों की नीलामी पर रोक लगा दी गई है। नई एसओपी के तहत सेवानिवृत्त ऊंटों के लिए सेक्टर में ही पुनर्वास या वृद्धाश्रम बनाना होगा। इनके चारे-पानी की भी व्यवस्था बीएसएफ को करनी होगी। इन ऊंटों को परेड में शामिल नहीं किया जाएगा। ऊंट फिट होने पर परिसर में ही रखरखाव के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। खास बात यह है कि सेवानिवृत्त ऊंट की मौत होने पर मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम नहीं होगा। कोई कागजी कार्रवाई भी नहीं की जाएगी।