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बीकानेर,व्यक्ति को दूसरो के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा वह स्वयं के साथ चाहता है। यह सुनिश्चित है कि कोई भी व्यक्ति अपने साथ बुरा व्यवहार नहीं चाहता। अतः दूसरों के साथ भी उसे बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए। इसके लिए हमें व्यवहार का मनोविज्ञान अपनाना होगा। यह उद्गार श्री जैन आदर्श कन्या शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, नोखा द्वारा आयोजित साप्ताहिक आभासी वनशाला शिविर के दूसरे दिन वर्चुअल प्रसार व्याख्यान के दौरान शिविराधिपति डॉ राजेंद्र श्रीमाली ने दिए। डॉ. राजेंद्र श्रीमाली ने कहा कि आत्मा, मन और चेतना का मनोविज्ञान को दरकिनार कर व्यवहार का मनोविज्ञान को अपनाना वर्तमान समय की मांग है। शिविर प्रभारी भवानी सिंह पंवार ने शिविर के प्रथम दिवस का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। शिविर के दूसरे दिन आज मेंहदी प्रतियोगिता आयोजित की गई। निर्णायक मंडल में श्रीमती उषा जोशी, डॉ. मनीषा श्रीमाली एवम तरुण चौधरी ने मंजू बिश्नोई को प्रथम, ममता पंचारिया एवम् पूजा कुमारी को संयुक्त रूप से द्वितीय तथा कविता बिश्नोई एवम् सोनम भण्डारी को संयुक्त रूप से तृतीय स्थान दिया। हेमलता एवम् मोनिका रानी को सांत्वना स्थान दिया गया। तकनीकी संचालन व्याख्याता कौशल भोजक एवम् जितेंद्र कुमार ने किया।
-प्राचार्य एवम् शिविराधिपति डॉ.राजेन्द्र श्रीमाली

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