बीकानेर,तिरंगा यात्रा में जम्मू कश्मीर प्रदेश अध्यक्ष संबोधित कर रहे थे पुलवामा के युवाओं को, जिसमें डॉ कलाल ने युवाओं को संबोधित करते हुए खुलकर कहा कि पिछले 75 वर्षों में कहीं ना कहीं घाटी के युवाओं के साथ भेदभाव हुआ है जिसके तहत वतन हिंदुस्तान की खूबियों और प्रसिद्धियो से घाटी के युवाओं को दूर रखा गया, तिरंगे की आन बान और शान के समर्पण भाव से घाटी के युवाओं को दूर रखा गया, वतन हिंदुस्तान में राष्ट्र के प्रति जज्बे के लिए सम्मान से भी घाटी के युवाओं को दूर रखा गया, नतीजा यह हुआ कि आज 75 वर्ष बाद भी घाटी का युवा ना केवल शिक्षा से पिछड़ा बल्कि बेरोजगारी और अपनी योग्यता के अनुसार अपना रास्ता बनाने में भी नाकामयाब रहा, सरकारों ने आजादी से लेकर अब तक सुविधाओं के नाम पर शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार पर ध्यान ना दे कर घाटी के युवाओं के साथ अन्याय किया है आज जब धारा 370 हट चुकी है तो हिंदुस्तान ही नहीं पूरे विश्व में घाटी का युवा अपनी योग्यता के आधार पर परचम लहरा रहा है यह परिस्थितियां धारा 370 हटने के बाद सुगम परिस्थितियों में से एक है कि आज पुलवामा जैसे शहर का नाम आते ही लोगों के दिल और दिमाग में केवल इतनी ही बात आती है पुलवामा अंतक का गढ़ है जब भी घाटी का जिक्र आता है सब लोग अलग दृष्टि से देखते हैं परंतु मैं कह देना चाहता हूं सभी से कि अब वह घाटी, घाटी नहीं रही, जम्मू कश्मीर का युवा अपनी योग्यता का डंका पूरे विश्व में बजा रहा है फिर वह इंजीनियर हो वैज्ञानिक हो या किसी भी सम्मानजनक कार्य में अग्रणी भूमिका निभाने का कार्य हो, जम्मू कश्मीर का युवा कहीं भी पीछे नहीं है तिरंगा यात्रा की रैली के दौरान आज पुलवामा में युवाओं को संबोधित करते समय युवा अध्यक्ष दो बिलाल रसूल तथा डोडा के समाजसेवी इरफान अतू की उपस्थिति में डॉ कलाल ने खुलकर कहा कि अब घाटी के युवाओं को आगे आकर अपनी योग्यता का परिचय देने की जरूरत है वतन ए हिंदुस्तान के नौजवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस राष्ट्र को, इस तिरंगे को मजबूत करने की जरूरत है यही वह तिरंगा है जो हमें पूरे विश्व में सम्मान के साथ कार्य करने को प्रेरित करता है यही वह तिरंगा है जो हमें पूरे विश्व में किसी भी प्रकार की समस्या या असुरक्षा से बचा सकता है
आतंकवाद का गढ़ कहे जाने वाले पुलवामा में युवाओं को संबोधित करते हुए जम्मू कश्मीर के प्रदेश अध्यक्ष डॉ साहिल मुजफ्फर हुसैन कलाल ने पिछले 75 वर्षों के शासन का हवाला देते हुए हुक्मरानों को खुलकर ललकारा, युवाओं को कहा कि आज हमारी ये मनोदशा करने वाले कोई और नही ये सरकार के नुमाइंदे है जिन्होंने हमे तिरंगे से दूर रखा, वतन की अहमियत से दूर रखा, वतन के वर्चस्व से दूर रखा, तिरंगे की जगह हाथ में पत्थर थमा दिया, पुलवामा में खड़े होकर कैमरे के सामने कहने वाले को हिम्मत चाहिए, बंद कमरों में बैठकर मोबाइल पर जम्मू कश्मीर की राजनीति करना और अपनी राय रखना आसान है पर मैदान में खड़े होकर हक और अधिकार की बात करना किसी चुनौती से कम नही।
जम्मू कश्मीर में हो रही तिरंगा यात्रा के संयोजक सम्पत सारस्वत बामनवाली ने बताया कि यह तिरंगा यात्रा समापन से पहले कई अवसरवादी राष्ट्रवादियों के चेहरे से नकाब हटाने का कार्य करेगी और तिरंगे की आन बान और शान को सफलता पूर्वक प्रसारित करने में सहयोगी होगी । 1 अगस्त को डल झील से शुरू हुई इस तिरंगा यात्रा 15 अगस्त तक जम्मू कश्मीर के एक एक क्षेत्र तक जायेगी तथा जन जन में तिरंगे के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य करेगी, आज जम्मू कश्मीर के साथ साथ पूरे हिंदुस्तान में इस तिरंगा यात्रा को लेकर चर्चा है लोगों का सकारात्मक व्यवहार देखने को मिल रहा है जो कि आगामी दिनों में सुगम परिणाम लेकर आएगा। 15 अगस्त को तिरंगा यात्रा का समापन श्रीनगर में होगा।