
बीकानेर,राजस्थान की धरा वीरप्रसूता होने के साथ-साथ मनीषी प्रसूता भी रही है। इस धरती पर कलम के कारीग़रों ने अपनी विद्वता से ऐसे पात्रों को गढ़ा एवं रचा है, जिन्होंने सम्पूर्ण देश में मरुधरा का नाम रोशन किया है। ऐसे ही मरुधरा एक विद्वान व्यक्ति थे डॉ रविन्द्र मंगल। मौन, मूक साधक की भांति, पूर्ण समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने वाले अमूल्य हीरक कांति सदृश्य दैदीप्यमान एक व्यक्तित्व थे डॉ. रवीन्द्र मंगल। अपनी शिक्षाकाल में ही मेधावी छात्र रहे डॉ मंगल के प्रगति के सोपानों पर चढ़ते हुए बी.एससी., एम.एससी. एम. फिल एवं पीएच.डी. की उपाधियां अर्जित की। कॉलेज शिक्षा में आने से पूर्व आपके पास आई आई टी जैसे संस्थानों में शोध का अवसर मिला था परन्तु विद्यार्थियों एवं शिक्षण कार्य में लगाव के कारण आप ने 10 सितम्बर 1984 को कॉलेज शिक्षा विभाग में भौतिकशास्त्र विषय में व्याख्याता का पद ग्रहण किया। एक आदर्श शिक्षक के रूप में राजकीय डूंगर महाविद्यालय, बीकानेर में तीन दशक से अधिक अध्ययन अध्यापन के साथ-साथ विद्यार्थियों के मित्र बनकर आपने उनकी समस्याओं का निराकरण किया। आपने विद्यार्थियों के बीच “लर्निंग बाई डूइंग” नवाचार का सूत्रपात भी किया। आपके निर्देशन 7 शोधार्थियों ने पीएच.डी. एवं 10 विद्यार्थियों ने एम.फिल. की उपाधि प्राप्त की। आपने अपने विषय से संबंधित 09 पुस्तकों का भी लेखन किया है। आपने अपनी अध्यापन यात्रा के दौरान प्रगति के पायदानों पर पदारोहण करते हुए व्याख्याता, सह आचार्य एवं प्राचार्य आदि पदों को सुशोभित किया। आपने राजस्तरीय कई समितियों के सदस्य के रूप में भी कार्य किया।आपकी कार्यनिष्ठता को देखते हुए राज्य सरकार ने २०१८ में आपको राज्यस्तरीय सम्मान से नवाजा। आपका व्यक्तित्व ओजस्विता, तेजस्विता एवं ऊर्जस्विता का ऐसा संगम है, जिसका लोहा आपके संपर्क में आया हर विद्यार्थी एवं शिक्षक मानता है। आपने सदैव छात्रहितों को सर्वोपरि मानकर उनके स्वप्नों को मूलरूप देने का कार्य किया। न केवल विद्यार्थी अपितु सहकर्मी अधिकारी एवं कर्मचारियों आप के मधुर व्यवहार, सदैव सहायता के लिए तत्पर , सही और सच्ची सलाह देने वाले साथी के रूप में हमेशा आपको ओर आपकी यादों को दिल में संजोए रखेगा। आपकी यह भावनाएं हर शिक्षक के लिए हमेशा अनुकरणीय रहेगी।
आपका अचानक यू चले जाना हर विद्यार्थी, हर मित्र, हर साथी के हृदय में हमेशा टीस बन कर रहेगा। आपके जाने से ना केवल विद्यार्थि अपितु पूरे शिक्षाजगत के लिए एक अपूर्णीय क्षति हुई है। आप सदा विद्यार्थियों, मित्रों व साथियों के हृदय में रहेंगे।