बीकानेर,बीकानेर में स्वास्थ्य एवं साहित्य संगम द्वारा हर रविवार सुबह आयोजित होने वाले साप्ताहिक काव्य पाठ कार्यक्रम राष्ट्रीय कवि चौपाल की 409वीं कड़ी सादुल स्कूल भ्रमण पथ पर आयोजित की गई । जिसमें जयपुर की कवयित्री एवं सरस्वती कॉलेज दौसा की प्राचार्य डॉ.निकिता त्रिवेदी एवं देशनोक की समाजसेविका-कवियत्री शांति देवी चौहान का राष्ट्रीय कवि चौपाल द्वारा सम्मान किया गया।
संस्थापक संरक्षक नेमचंद गहलोत ने बताया कि सम्मान के क्रम में दोनों रचनाकारों को शॉल, माल्यार्पण एवं साहित्यिक पुस्तकें भेंट की गई।
संस्था के सह-संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष युवा शायर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी ने बताया कि आज के प्रोग्राम की अध्यक्षता डॉ. कृष्ण लाल बिश्नोई ने की। डॉ. बिश्नोई ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि कवि चौपाल साहित्य की पाठशाला है जहां सीखने को बहुत कुछ मिलता है। यहां पर बिना किसी भेदभाव के सभी रचनाकारों को काव्य पाठ के अवसर के साथ-साथ उचित मान सम्मान दिया जाता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नेमचंद गहलोत ने ‘मुझको ऐसा दूल्हा देना मेरे भोले भंडारी/जिसको पत्नी सेवा करने की लगी हो बीमारी’ रचना के माध्यम से श्रोताओं से भरपूर वाह वाही लूटी। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि कृष्णा वर्मा ने कहा कि आज का काव्यपाठ कार्यक्रम बहुत रोचक, सुंदर एवं यादगार रहा। रचना प्रस्तुत करने वाले समस्त रचनाकारों ने अपनी विविध रंगी रचनाओं के माध्यम से कार्यक्रम को रंगारंग बना दिया।
डॉ. निकिता त्रिवेदी ने सम्मान के लिए संस्था धन्यवाद देते हुए अपनी एक से बढ़कर एक ग़ज़लें सुना कर श्रोताओं से भरपूर दाद पाई। आपकी इन पंक्तियों को ख़ूब पसंद किया गया-‘हक़ मोहब्बत का ऐसे अदा कीजिए/बस वफ़ा कीजिए बस वफ़ा कीजिए। ख़ुशबू आ जाती है उनके आ जाने से/ इत्र यह कौन सा है पता कीजिए।’ शांति देवी चौहान ने सम्मान से अभिभूत होते हुए कहा कि उन्हें कवि चौपाल में आकर मानसिक शांति एवं सुकून मिला। प्राकृतिक वातावरण में काव्यपाठ करके आत्मिक आनंद की अनुभूति हुई। वह बार-बार कभी चौपाल में आना चाहेंगी।
कार्यक्रम में केंद्रीय साहित्य अकादमी के अनुवाद पुरस्कार से पुरस्कृत युवा साहित्यकार संजय पुरोहित ने स्वर्गीय बुलाकीदास बावरा की रचनाएं सुनाकर पुराने दौर की यादें ताज़ा करवा दीं। वरिष्ठ शायर क़ासिम बीकानेरी ने बीकानेर की शान में यह पंक्तियां पढ़कर बीकानेर की तारीफ़ यूं बयान की-‘मेहमान का भी करते हैं हम लोग ख़ूब मान/ख़ुश होके जाते हैं सभी मेहमान देख लो।’ हास्य कवि बाबूलाल बमचकरी ने अपनी हास्य कविताओं से श्रोताओं को भरपूर गुदगुदाया। लीलाधर सोनी ने अपनी कविता वाचन से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। वरिष्ठ कवि सरदार अली पड़िहार की आध्यात्मिक रचना तेरी इबादत में रहूं ऐसा मुझको बना मेरे मौला और किशन नाथ खरपतवार द्वारा प्रस्तुत कांटो से घिरा रहता हूं फिर भी खिला रहता हूं रचनाएं सराही गई। कार्यक्रम की शुरुआत में वरिष्ठ कवयित्री सरोज भाटी ने मां शारदे की वंदना प्रस्तुत की। सरोज भाटी में बीकानेर पर आधारित दोहों के प्रस्तुतीकरण के माध्यम से काव्य का नया रंग भरा। हनुमंत गौड़ नज़ीर ने-‘मैं वह शख़्स हूं जो बाकमाल हूं’, कैलाश टाक ने ‘मोहब्बत के सारे फूल किताबों में रह गए’, युवा कवयित्री कपिला पालीवाल ने ‘लम्हा नहीं साल नहीं एक ज़माना चाहती हूं’,शमीम अहमद शमीम ने आखातीज पर पतंगबाजी पर केंद्रित ‘दूर गगन में उड़ी पतंग/सर सर चली हवा के संग’, महबूब देशनोकवी ने ‘पेड़ के नीचे’, अनिल भारद्वाज ने ‘तू काफ़िर था बस इसीलिए तुझसे प्यार न कर सकी’, कमल किशोर पारीक ने ‘पतझड़ में ही रिश्तों की परख होती है’ कविताओं के प्रस्तुतीकरण से कार्यक्रम को परवान चढ़ाया। कार्यक्रम में नौजवान शायर बुनियाद हुसैन ज़हीन, युवा कवि कथाकार गंगा विशन बिश्नोई ‘ब्रह्मा’, कवि राजकुमार ग्रोवर,कैलाश दान चारण, धर्मेंद्र धनंजय, ओम प्रकाश भाटी, श्री गोपाल स्वर्णकार, राजू लखोटिया,सुनील जैन, पदम जैन, परमेश्वर सोनी, नत्थू ख़ान, हरी किशन यादव, कालूराम गहलोत, सत्यनारायण, अख़्तरी बेगम, पुष्पा नायक एवं राजेश रामावत सहित अनेक श्रोताओं ने काव्य पाठ का आनंद उठाया। मंच संचालन क़ासिम बीकानेरी ने किया। किशन नाथ खरपतवार ने आभार ज्ञापित किया।